रेलवे की वजह से अटका आबूरोड शहर और गांधी नगर को जोड़ने वाला ओवरब्रिज प्रोजेक्ट
माउन्ट आबूBy Sirohiwale
आबूरोड शहर और गांधीनगर क्षेत्र को जोड़ने वाले ओवरब्रिज अब भी खामियों की वजह से अटका हुआ पड़ा है। इस ओवरब्रिज की ड्राइंग और डिजायन को रेलवे ने चार बार ठुकरा दिया और हर बार सड़क विकास एवं निर्माण निगम ने इसमें संशोधन कर भेजा लेकिन इस मामले को लेकर अगस्त 2017 से रेलवे की ओर से न तो जवाब दिया गया और न ही इसको लेकर आगे की कार्रवाई की गई। ऐसे में डेढ़ साल से 34 करोड़ का यह प्रोजेक्ट अट का पड़ा है।
जानकारी के अनुसार शहर में पुराना समपार रेलवे फाटक के दूसरी ओर गांधीनगर क्षेत्र के साथ ही रेलवे कॉलोनी, चांदमारी रोड, महावीर टॉकीज रोड, अंबिका कॉलोनी, गणेश कॉलोनी एवं प्रेमनगर आदि आबादी क्षेत्र स्थित है। इनमें शहर की करीब एक चौथाई आबादी निवासरत है। बीते सालों में इस रुट पर गुड्स एवं पेसेंजर ट्रेनों की संख्या में बढ़ोतरी के चलते हर पांच से दस मिनट बाद ही फाटक को बंद करना पड़ता था। इस पर वहां ओवरब्रिज निर्माण की स्वीकृति मिली। गांधी नगर की तरफ पांच पिलर भी खड़े कर दिए गए लेकिन रेलवे की ओर से सड़क विकास एवं निर्माण निगम की ड्राइंग व डिजायन में हर बार खामी बता फाइल लौटा दी गई। अधिकारियों की माने तो अगस्त 2017 में आखिर बार डिजायन में संशोधन कर फाइल रेलवे के अधिकारियों को भेजी लेकिन इसके बाद रेलवे की ओर से कोई जवाब नहीं आया। ऐसे में पिछले डेढ़ साल में ओवरब्रिज का काम अटका हुआ है।
जहां ओवरब्रिज निकलना था वहां पहले रेस्ट रूम और बाद में रेलवे ट्रैक के पास खंभे की वजह से अटकाई फाइल, अभी केवल 30 फीसदी ही पूरा हुआ काम
आबूरोड. गांधीनगर ओवरब्रिज का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। यहीं, नहीं अभी तक इसकी डिजाइन व ड्राइंग तक स्वीकृत नहीं हो पाई है।
पॉवर हाउस मोड से जनता चौक तक बनेगा ओवरब्रिज
यह ओवरब्रिज गांधीनगर क्षेत्र में रेलवे ट्रैक के दूसरी ओर स्थित पॉवर हाउस मोड से रेलवे स्टेशन मार्ग पर जनता चौक तक बनेगा। रेलवे ट्रैक पर इसकी ऊंचाई ग्राउंड लेवल से 33 फीट रहेगी। इसकी लंबाई सात सौ मीटर रहेगी। इसका सबसे बड़ा एक फायदा यह रहेगा कि गांधीनगर क्षेत्र के लोगों को शहर एवं शहर के लोगों को गांधीनगर आने जाने में वर्तमान में हो रही परेशानियां नहीं होगी। इसके साथ ही लुनियापुरा अंडरब्रिज पर यातायात का दबाव कम हो सकेगा।
जानिए, ऐसे चली ओवरब्रिज निर्माण की प्रक्रिया और अभी ये है स्थिति
फाटक बंद कर दी, नहीं की वैकल्पिक व्यवस्था
ओवरब्रिज निर्माण का काम शुरु होने के कुछ समय बाद ही इस फाटक को बंद कर दिया गया। वैकल्पिक मार्ग नहीं मिलने से गांधीनगर के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई। इसको लेकर पूर्व में भी स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन बावजूद इसके अब तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया।
इन साइड स्टोरी
जहां पहले ओवरब्रिज निकलना था वहां बना रेस्ट रूम, अब अधिकारियों के बीच घुम रही है फाइल
इस ओवरब्रिज का निर्माण सामाजिक विकास एवं निर्माण निगम की ओर से करवाया जा रहा है। चूंकि यह ओवरब्रिज रेलवे ट्रैक के ऊपर से गुजर रहा है इसलिए इसकी डिजाइन व ड्राइंग की स्वीकृति रेलवे ही देगा। पहली बार में जो डिजाइन भेजी उसकी जगह रेस्ट रूम बना दिया। इसके बाद दो बार तकनीकी खामियों के साथ ही रेलवे ट्रैक के पास खंभे की वजह से इसे फिर से लौटा दिया। अब यह फाइल रेलवे अधिकारियों के बीच फंसी पड़ी है। निगम के अधिकारी भी इस फाइल को लेकर जयपुर भी चक्कर काट रहे हैं और फोन पर इसकी जानकारी भी। लेकिन डेढ़ साल से रेलवे की ओर से न तो स्वीकृति मिली और न ही यह बताया जा रहा है कि इसमें अब आगे क्या करना है।