Simmba Movie Review: कमजोर कहानी में जान डालती है रणवीर सिंह की एक्शन और कॉमेडी
बॉलीवुड फिल्म समीक्षाBy Sirohiwale
फिल्म: सिम्बा
निर्देशक: रोहित शेट्टी
स्टार: रणवीर सिंह, सारा अली खान, सोनू सूद, आशुतोष राणा और अन्य
सर्टिफिकेट : U/A
अवधि: 2 घंटा 45 मिनट
क्रिटिक्स रेटिंग : 1
ऑडियंस रेटिंग्स: 3.5
चेन्नई एक्सप्रेस, सिंघम और गोलमाल अगेन जैसी मसालेदार मनोरंजक फ़िल्में बनाने वाले रोहित शेट्टी 2018 के अंत में सिम्बा लेकर आए हैं. सिम्बा, दक्षिण की फिल्म टेम्पर का रीमेक है. हालांकि इसमें हिंदी ऑडियंस के हिसाब से बदलाव भी किए गए हैं. पहली बार रोहित शेट्टी ने रणवीर सिंह और सारा अली खान को लेकर फिल्म बनाई है. इसमें उनकी पुरानी टीम, अजय देवगन और 2019 में अक्षय कुमार के साथ सूर्यवंशी की झलक भी है. आइए जानते हैं कैसी बन पड़ी है रणवीर की फिल्म...
फिल्म की खुबिया
- रणवीर सिंह का डांस, एक्शन और कॉमेडी
- फिल्म के डायलॉग्स बहुत अच्छे हैं। जो हंसाते, रुलाते और बहुत कुछ सिखाते हैं
- आशुतोष राणा और सिद्धार्थ जाधव ने रणवीर का साथ बखूबी निभाया है।
- फिल्म का म्यूजिक
- सोनू सूद का विलेन रोल आपको फिल्म देखने के लिए विवश कर देगा।
- फिल्म की कहानी भले ही पुरानी हो लेकिन यह आपका पूरा मनोरंजन करती है। इसे आप पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं
फिल्म में मिस करेंगे ये चीज
- सारा अली खान का किरदार बहुत छोटा है।
- कमजोर कहानी
- मराठी भाषा का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल
- फिल्म की लंबाई
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी एक पुलिस कॉप की है. ये उसी शिवगढ़ से शुरू होती है, जहां सिंघम खत्म हुई थी. एक अनाथ बच्चा है संग्राम भालेराव यानी सिम्बा. वो ग़लत धंधों में है, लेकिन कुछ ऐसा होता है कि उसने पुलिस अफसर बनने की ठान ली है. अफसर भी इसलिए बनना चाहता कि पावरफुल हो और ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाए. कैसे भी. ग़लत कामों के साथ मेहनत करते हुए परदे पर नौजवान पुलिस अफसर सिम्बा (रणवीर सिंह) एंट्री मारते हैं. सिम्बा मसखरा है, टपोरी है और हीरो है तो जाहिर सी बात है प्रेमी भी है. पर शर्मीला और बेपरवाह, घूस भी वसूलता है. फिल्म के शुरू के दो फ्रेम में हीरो, विलेन और दूसरे किरदार के साथ कहानी साफ़ है.
संग्राम भालेराव का तबादला दुर्वा रानाडे (सोनू सूद) के इलाके में होता है. रानाडे गोवा का ताकतवर डान है. वह अपने भाइयों सदाशिव और गौरव रानाडे के साथ ड्रग स्मगलिंग से लेकर जमीन कब्जाने तक के तमाम गैर कानूनी काम करता है. नई पोस्टिंग में आते ही सिम्बा, मेडिकल की पढ़ाई कर रही उस लड़की को अपनी बहन बना लेता है, जो अनाथ बच्चों को फुटपाथ पर पढ़ाने का काम करती है.
सिम्बा की मुलाक़ात थाने के सामने कैटरिंग का बिजनेस चलाने वाली सारा अली खान से भी हो जाती है. पहली नजर में ही सिम्बा उसे दिल दे बैठता है. सारा के पिता पुलिस अफसर थे और एक एनकाउंटर में उनकी मौत हो गई थी. इंस्पेक्टर तावड़े, सीनियर कांस्टेबल नित्यानंद मोहिले मोहिले (आशुतोष राणा), कांस्टेबल धोरकर और तमाम दूसरे किरदारों का परिचय सामने आता है.
सिम्बा नई पोस्टिंग में आकर घूसखोरी और मसखरी जारी रखता है. सिम्बा, रानाडे के लिए पैसे के बदले काम करने लग है. इस बीच सारा अली खान से उसकी प्रेम कहानी भी आगे बढ़ रही है. हालांकि सीनियर कांस्टेबल मोहिले (आशुतोष राणा), सिम्बा से नाराज है और उसे ग़लत रास्ते पर चलने से बार बार आगाह करता रहता है. कहानी में सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है इसी बीच इंटरवल से पहले सिम्बा के साथ कुछ ऐसा होता है जो उसकी जिंदगी को बदल कर रख देती है. सिम्बा के साथ ऐसा क्या होता है, क्यों वह रानाडे के खिलाफ चला जाता है और क्यों बेईमानी के रास्ते को छोड़ता है? इन तमाम बातों के लिए फिल्म देखने जाना होगा.
कहानी, संवाद, कैमरा और म्यूजिक
सिम्बा जैसी कहानियां पर्दे पर सैकड़ों बार दिखाई जा चुकी हैं और पहले फ्रेम से ही मालूम हो जाता है कि अगले पल क्या होने वाला है. फिर भी कहानी बोर नहीं करती है. तो इसके लिए रोहित शेट्टी के निर्देशन और सम्पादन की तारीफ होनी चाहिए. उन्होंने मूवी की पिच को मनोरंजक बनाए रखा है.
फिल्म के मूड के हिसाब से कहानी की जान दर्जनों वन लाइनर संवाद हैं. इसके लिए फरहाद शम्जी की तारीफ होनी चाहिए. ज्यादातर संवाद सिम्बा यानी रणवीर सिंह के हिस्से आए हैं. दूसरे कलाकारों के हिस्से के संवाद भी तीखे, ट्रेंडी और चुटीले हैं. जिन्होंने फिल्म नहीं देखी है उन्होंने ट्रेलर में इसकी झलक भी देखी होगी. बैकग्राउंड स्कोर भी बढ़िया बन पड़ा है.
चेन्नई एक्सप्रेस को छोड़ दें तो रोहित शेट्टी की अधिकांश फिल्मों में आउटडोर लोकेशन ज्यादा मायने नहीं रखते. हालांकि सिम्बा में उन्होंने बेहतरीन लोकेशन पर रणवीर और सारा अली खान के ऊपर रोमांटिक गाना फिल्माया है. एक दो जगह को छोड़ दी जाए तो फिल्म की गति बंटी नेगी के सम्पादन की वजह से ठीक है.
कैमरा वर्क भी अच्छा है. खासतौर से एक्शन सीन्स के विजुअल बहुत प्रभावी बन पड़े हैं. सिर्फ क्लाइमेक्स के सीन को छोड़ दिया जाए तो पहली बार रोहित शेट्टी ने अपनी किसी फिल्म में कारों का ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाया है.
फिल्म के लिए आंख मारे को रीक्रिएट किया गया है. कई और गाने भी हैं. गाने लम्बी उम्र के नहीं है पर फिल्म के मूड को देखते हुए उन्हें ठीक कहा जा सकता है.
कलाकारों का अभिनय कैसा है?
सारा अली खान अपनी दूसरी ही फिल्म में साबित कर देती हैं कि अगर उन्हें स्क्रीन पर बढ़िया स्पेस मिला तो वो बहुत आगे तक जाएंगी. उनका किरदार ज्यादा बड़ा नहीं था. लेकिन वो कैमरे के सामने अच्छी और विश्वास से भरी नजर आती हैं. सारा की आंखों में एक्टिंग नजर नहीं आती. रणवीर का टपोरी किरदार देखकर कभी कभी अनिल कपूर की याद आती है.
सिम्बा में भी अनिल के 'राम लखन' जैसा किरदार है. लेकिन ये उतना दमदार नहीं है जितनी उम्मीद थी और कभी अनिल ने उसे शिद्दत से पर्दे पर निभाया था. इंटरवल से पहले और बाद में रणवीर के किरदार के दो शेड्स हैं. किरदार की डिमांड के हिसाब से दोनों को असरदार होना था, घूसखोर टपोरी के रोल में रणवीर प्रभावित नहीं करते हैं. शुरुआती फ्रेम में तो वे ओवर एक्टिंग करते दिखते हैं. हालांकि चुटीले वन लाइनर संवादों ने उन्हें बचा लिया है. लेकिन एंग्री यंगमैन के किरदार में उनके हर इमोशन बेहद उम्दा बनकर दिखाई देते हैं. वो अपनी एक्टिंग की रौ में दर्शकों को बहा ले जाते हैं.
सोनू सूद ने अच्छा काम किया है. डॉन, भाई पति और पिता के किरदार में वो जमे हैं. पर सिंघम में विजय राज के जैसा किरदार सिम्बा में नहीं गढ़ा गया. ये सोनू सूद का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा. आशुतोष राणा, अश्विनी कलसेकर, विपिन शर्मा सिद्धार्थ जाधव, अमृत पाल सिंह, नौशाद अब्बास और दूसरे कलाकारों का अभिनय भी अपनी लेंथ के हिसाब से ठीक ठाक है.
रोहित शेट्टी ने किस तरह का निर्देशन किया है?
सिम्बा से साफ़ होता है कि रोहित शेट्टी अब निर्देशन में दूसरे लेवल यानी फैमिली फिल्मों की ओर बढ़ रहे हैं. पहली बार फिल्म में वो सोसायटी के लिहाज से एक संवाद करने और उसे मैसेज देने की कोशिश करते हैं. इस फिल्म में उन्होंने कॉमेडी, इमोशन और एक्शन का जोरदार त्रिकोण रचा है. मनोरंजन के लिहाज से उनके निर्देशन को पूरा नंबर दिया जा सकता है लेकिन तमाम चीजें अखरती हैं. जैसे उनकी फिल्मों में अभिनेत्रियों के लिए ज्यादा कुछ करने को नहीं रहता. चेन्नई एक्सप्रेस में दीपिका पादुकोण का काम अपवाद माना जा सकता है.
फिल्म की कहानी में हीरोइन के किरदार को बड़ा किया जा सकता था. विषय के हिसाब से ये जायज भी था. अच्छा यह होता कि सिम्बा की मुंहबोली बहन के किरदार और सारा अली खान के किरदार को मिक्स कर दिया जाता तो एक घूसखोर पुलिस अफसर में बदलाव और उसका रिवेंज आमिर खान की गजनी की तरह बेहद प्रभावी बन पड़ता.
अजय देवगन की एंट्री के साथ क्लाइमैक्स और बेहतर किया जा सकता था. अचानक से रानाडे बदला लेने के लिए आगे आता है और कुछ ही देर में उसके गुंडे सिम्बा को उठा ले जाते हैं. असहाय सिम्बा को बचाने सिंघम (अजय देवगन) की एंट्री होती है. यहां आकर रणवीर का किरदार मरता नजर जाता है. लेंथ की कमी नहीं थी, फिल्म बड़ी है तो कायदे से एनकाउंटर सीन्स और क्लाइमेक्स को बनाना जरूरी था. इन वजहों से कुछ जर्क आएं हैं पर अच्छी बात यह है कि वे परेशान नहीं करते. वैसे भी भारत में फ़िल्में दिल और दिमाग दोनों के साथ देखी भी कहां जाती है.
कुल मिलाकर सब ठीक ठाक है. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ा कीर्तिमान बनाए तो हैरान नहीं होना चाहिए. रोहित शेट्टी कह चुके हैं कि सिम्बा का मतलब शेर का बच्चा होता है और जब बच्चा शेर (सिंघम) का ही है तो उसकी सौ गलतियां माफ.