जीरावला मे धुमधाम से विराजित हुऐ धवली महावीर स्वामी
खास खबरBy Sirohiwale
सिरोही ब्यूरो न्यूज़
संयोजक लालजी
सिरोही जिले के रेवदर तहसील के धवली गांव में 1100 वर्ष प्राचीन जैन तीर्थ मे 2200 वर्ष प्राचीन महावीर स्वामी की प्रतिमा सोमवार की शाम 6 बजकर 31 मिनट पर जीरावला तीर्थ मे मेहमान के रूप मे हर्षोल्लास एवं मंत्रोच्चारण के साथ विराजित हुए।यह प्रतिमा 7 मई को रात के अन्धेरे मे कुछ ट्रस्टी बिना समाज की अनुमति के सुरत ले गये ओर वहां एक सोसायटी मे स्थापित करवा दी। जिसका पता चलने पर देश भर मे जैन समाज मे व्यापक विरोध होने व पुलिस मे रिपोर्ट दर्ज होने के कारण सोसायटी डेवलोपर हितेश भाई चम्पालाल जैन ने 7 अक्टुबर को प्रातः 7 बजे जीरावला ट्रस्ट के सहमंत्री पोपटलाल जैन, किशोर गांधी तथा ट्रस्टी खुशाल भाई चौहान को विधि विधान के साथ सुर्पद की जिसे लेकर कारो का काफिला शाम पोने पांच बजे जीरावला तीर्थ मे पहुंचा।
सुरत मे हुआ अमी झरणा चमत्कार सहमंत्री पोपटलाल जैन ने बताया कि सुरत मे धवली महावीर स्वामी की प्रतिमा पर रविवार रात को 9 बजे से 11 बजे तक "अमी झरणा" अर्थात आशुओ की लगातार धार बहना का एक चमत्कार हुआ जिसका पता लगते ही लोगो की दर्शन व अमीझरणा देखने की भीड लग गई। अनेक साधु -साध्वीयों ने भी इस चमत्कारी पल को अपने आंखो से निहारा।
जीरावल पंहुचने पर हुआ सामैया
वधामणा प्रतिमाजी के जीरावला पहुचने पर उनको वधामणा का चढावा लेने वाले निम्बज निवासी प्रकाश दानमलजी मुथा परिवार ने भगवान को नाचते गाते हुऐ वधामणा कर प्रवेश करवाया । वहां पर कार से परमात्मा को चांदी के रथ मे विराजमान करने का लाभ लेने वाले रेवदर निवासी शांतिलाल मणीलालजी परिवार ने प्रतिमाजी को रथ मे लेकर बैठे तब वरघोडा रवाना हुआ भगवान के सामैया का लाभ दांतराई के जसराजी सोमाजी चौहान परिवार ने लिया। वरघोडा चर्तुविद संघ के साथ गाजते गाजते जीरावला पार्श्वनाथ के जिनालय मे पहुंचा तो वहा पर महावीर स्वामी के जयकारो के साथ भक्तो ने प्रतिमाजी को अक्षत से वधामणा किया और पुखने का लाभ ज्ञानचंदजी पूनमचंदजी गांधी परिवार के किशोर गांधी परिवार की महिलाओं ने लिया वहां पर आचार्य भगवंत पूर्णचन्दसूरजी व युगचन्दसूरी जी ने मंत्रोचारण के साथ प्रतिमा को प्रवेश करवाया।
दांतराई के विमल भाई ने की प्रतिमा विराजित धवली महावीर स्वामी की प्रतिमा को गोखले मे विराजमान करने व चल प्रतिष्ठा करवाने का लाभ दांतराई के लेहरचंद हंसाजी परिवार ने लिया ओर उनके परिवार के विमल कुमार जैन (चैन्नई)ने विधिपूर्वक ओम पुण्याहाम-पुण्याहाम के मंत्रोच्चारण के साथ शुभ मूहुर्त मे विराजित किये तो पुरा मंदिर जय जय धवली दादा के जयकारो से गुंज उठा । दिवाली की प्रतिमा को सुरत से आबुगोड मे लाने के लिए चले आंदोलन में चैन्नई के विमल भाई की भूमिका महत्वपूर्ण थी । चल प्रतिष्ठा के बाद भगवान की पहली आरती का लाभ ट्रस्टी खुशाल भाई जसराजी चौहान परिवार ने लिया ओर मंगल दीपक का लाभ मारोल निवासी नवलमल गोममलजी तातेड ने लिया। इस अवसर पर आचार्य युगचन्द्रसूरजी ने शांति पाठ करवाया व हित शिक्षा देते हुए कहा कि यह एक अजब संयोग व चमत्कार है कि धवली मे 1100 वर्ष से विराजित महावीर स्वामी योगायोग सुन्दर मुहूर्त मे विश्व विख्यात जीरावला तीर्थ मे मेहमान रूप मे आज पधारे ओर विराजित हुऐ ओर इस अवसर पर 400 आराधना ने आयंबिल तप की भव्य आराधना की। जीरावला ट्रस्ट की ओर से स्वामी वात्सल्य रखा गया जिसका भी भक्तों ने लाभ लिया।
प्रतिष्ठा में भाग लिया प्रवासियो ने चल प्रतिष्ठा के अवसर पर प्रवासी राजस्थानीयो के अलावा जीरावला ट्रस्ट के मंत्री सहमंत्री पोपटभाई, किशोर गांधी, ट्रस्टी पुखराज जे बाफना, खुशालचंद चौहान, शांतिलाल पोमाजी,चम्पालाल जेठालाल शाह सनवाडा, पावापुरी के संस्थापक के पी संघवी परिवार के कीर्ति भाई, भेरुतारक तीर्थ के संस्थापक ललित भेरमलजी बाफना, राजस्थान जैन संघ के अध्यक्ष सुरेश सुराणा, धवली तीर्थ रक्षा कमेटी के संयोजक महेन्द्र मुथा, कांति जगाणी, महावीर जैन, विमल जैन, सुरेश जैन अनादरा, नवलमल तातेड, अशोक शंकरजी, रसीक कोठारी, भोपाजी दांतराई , मफतभाई मुथा, चम्पत मुथा, धवली तीर्थ के अमरध्वजा के लाभार्थी परिवार के प्रवीण टापरानी सिरोडी सहित आसपास के गांवो के भक्तगण व बडी संख्या मे उपस्थित थे।
धवली तीर्थ रक्षा कमेटी ने धवली महावीर स्वामी की प्रतिमा को सूरत से जीरावल लाने मे सकल संघ, अनेक ट्रस्टो व संस्थाओं एवं आबुगोड समाज सहित देश के जैन समाज का मिलाअमूल्य सहयोग के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।
धवली मे फैली खुशी की लहर
धवली तीर्थ की प्रतिमा के आज जीरावला तीर्थ मे पहुंचने एवं मेहमान के रूप मेविराजमान के समाचार मिलते ही धवली के ग्रामीणो मे खुशी की लहर फैल गई । ग्रामीणो ने बताया की रात के अन्धेरे मेबिना गांव को सूचना दिये चुपचाप सुरत ले जाने की घटना से ग्रामीणो ने रोष था और जब से मंदिर से प्रतिमा गयी है तब से ग्रामीण अपने आप को बहुत दुखी महसूस कर रहे थे लेकिन जैसे ही प्रतिमा के जीरावल आने के समाचार मिले तो ग्रामीणो ने इसे एक चमत्कार ही बताया ।