कांग्रेस ने सत्ता के स्वार्थ व अहंकार मे देश पर आपातकाल थोपा - चंपत मिस्त्री
खास खबरBy Sirohiwale
भाजपा शहर मंडल ने आपातकाल को काला दिवस बता काली पट्टी बांध विरोध जताया,
सिरोही के मीसा के राजनीतिक बंदियों का स्वागत- अभिनंदन किया
सिरोही हरीश दवे |
आपातकाल के दौर में उठने वाली हर आवाज पर जुल्म ढाए जाने का वृतांत बताते हुए मीसा के राजनीतिक बंदी एवं सेवा भारती के सह प्रांतमन्त्री चंपत मिस्त्री ने आपातकाल के निर्णय को गलत बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने सत्ता के स्वार्थ व अहंकार में देश पर आपातकाल थोपा था मिस्त्री ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर कहा कि इंदिरा के उस राष्ट्र विरोधी निर्णय के लिए कांग्रेसियो को आज जनता से माफी मांगनी चाहिए।
कांग्रेस शासन द्वारा 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लागू कर लोकतंत्र की हत्या, मानवाधिकारों का हनन एवं देशवासियों पर विभिन्न प्रकार के अत्याचार को देश का काला अध्याय बताते हुए शुक्रवार को श्रीमाली छात्रावास सभागार में आयोजित कार्यक्रम 'ब्लैक डे' के रूप में भाजपा नगर मंडल सिरोही ने मनाते हुए सिरोही शहर के उन तत्कालीन सत्याग्रही जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ आवाज बुलंद की और जो मीसा के राजनीतिक बंदी के कहलाए सिरोही निवासी चंपत मिस्त्री, शंकरलाल माली, भीकमचंद जैन स्वागत- अभिनंदन करके उस निर्णय का हाथों पर काली पट्टी बांधकर सांकेतिक विरोध जाहिर किया। इस मौके पर सिरोही के उन दिवंगत जुझारू योद्धाओं को भी श्रद्धा से याद करके उन नामों का स्मरण किया गया।
चंपत मिस्त्री ने कार्यक्रम में उपस्थित कार्यकर्ताओं एवं लोगों को आपातकाल की दास्तां और तत्कालीन सरकार की कारगुजारीयो से अवगत करवाते हुए बताया कि देश पर आपातकाल थोप कर कांग्रेस ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की हत्या कर दी थी करीब 21 महीनों तक लगाए गए काले कानून की दास्तां सुना कर जोश का संचार करते हुए कहा कि हमें राष्ट्र सर्वोपरि की भावना को प्राथमिकता देनी है और अगर सरकार के जनविरोधी निर्णय हो तो उसके खिलाफ आवाज उठाने में डरना नहीं चाहिए। मिस्त्री ने वर्तमान मे विपक्षियों द्वारा देश मे बनाये जा रहे माहौल और परिस्थितियों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कांग्रेस सरकार और उनके नेताओं पर उस समय दमनकारी नीति के तहत राष्ट्रभक्त लोगो में डर पैदा करने और सरकार बचाने की मनमानी करने के आरोप लगाए। इसी प्रकार राजनीतिक बंदी शंकरलाल माली ने भी ओज भरे शब्दों के साथ अपने स्मरण सुनाते हुए कहा कि सरकार के गलत निर्णय पर प्रतिकार करने वाले एवं आवाज उठाने वाले जनसंघ नेताओं, कार्यकर्ताओं और आम देशभक्तों को जहां जेलों में बंद कर दिया था वही मीडिया पर वही भी जबरदस्ती लगाम लगाने का निंदनीय काम किया गया था। माली ने सरकार की नीति की वजह से अपने स्वयं के कैरियर के साथ हुए अन्याय की बात भी बताई। माली ने कहां हमने देखा था कि उस दौरान कैसे कि देश के संस्थानों को सुनियोजित तरीके से ध्वस्त कर दिया गया था । उन्होंने उस दरम्यान सही एवं आंखों देखी घटनाओं का वृतांत बताते हुए कहा कि निर्दयी शासन की क्रूर यातनाएं सहकर भी हम डरे नहीं, झुके नहीं, हमने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया और जेल गए, जिसका हमें आज भी गर्व है। सत्याग्रही बंदी भीकमचंद जैन ने भी आपातकाल की उन काल कोठरियों की सजा का र्दद सांझा करके सरकार के तानाशाही रवैये की निंदा कर उस निर्णय को गलत ठहराया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में आपातकाल के काला दिवस के जिला संयोजक एडवोकेट अशोक पुरोहित में संबोधन में कहा कि आपातकाल लागू कर आजाद भारत के पैरों में गुलामी की बेड़ियां पहनाई गई थी, उस काली रात का जिक्र करते हुए बताया कि वो भयावह दृश्य था जब निहित स्वार्थों की खातिर अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक सत्ताधीश ने देश के प्रजातंत्र का गला घोटकर आपातकाल लगाने का दुस्साहस किया था। पुरोहित ने कहा कि उस समय सारे प्रजातांत्रिक मूल्यों को ताक में रखकर समाचार माध्यम, बोलने, लिखने एवं धार्मिक आजादी पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया था उस अंधकार भरे माहौल में जनसंघ से जुड़े राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं ने आगे बढ़कर मीसा जैसे काले कानून की परवाह नहीं करते हुए यातनाए सहकर भी अंधकार को चीरने का काम किया। स्वागत संबोधन में नगर अध्यक्ष लोकेश खंडेलवाल ने मीसा के राजनीतिक बंदियों को लोकतंत्र का सेनानी बताते हुए कहा कि उन जुल्म सहने वाले भारत माता के सच्चे सपूतों पर हमें गर्व है। खंडेलवाल ने सभी से लोकतंत्र की रक्षा के लिए डट कर खड़े रहने का आवाहन कर भारत माता की जय का जयघोष किया।
कार्यक्रम की प्रभारी श्रीमती हेमलता पुरोहित एवं सह प्रभारी पार्षद प्रवीण राठौड़ ने सभी आगंतुकों का आभार जताया। संचालन नगर मंत्री राहुल रावल ने किया। मीसा के राजनीतिक बंदियों का स्वागत अभिनंदन करने के मौके पर जिला उपाध्यक्ष नारायण देवासी, पूर्व मंडल अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी, महिपाल चारण, भाजयुमो जिलाध्यक्ष गोपाल माली, हेमंत पुरोहित, माणकचंद सोनी, हितेश ओझा, दमयंती डाबी, पार्षद मणिबाई माली, गोविंद माली, मांगूसिंह बावली, श्रवण राजपुरोहित, अजय भट्ट, हरिकिशन रावल, ललित प्रजापत, सुनील गुप्ता, अनिल प्रजापत, वीरेंद्रसिंह सोलंकी, बाबूसिंह मकरोड़ा, दिनेश प्रजापत, शैतान खरोर समेत बड़ी तादाद में कार्यकर्ता उपस्थित थे।