नाम नही काम बोलता है लोढा का, क्या मंत्री मण्डल विस्तार में मिल सकती है जगह?
खास खबरBy Sirohiwale
सिरोही ब्यूरो न्यूज़
विधायक लोढा दो साल का कार्यकाल रहा सराहनीय,
रिपोर्ट हरीश दवे
तीन साल के कार्यकाल में जन समस्या ओ के समाधान की चुनोतिया।
सिरोही प्र्देश में राजस्थान सरकार के दो साल पूरे होने के साथ सिरोही विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय विधायक संयम लोढा सतत दो साल अपनी विधान सभा क्षेत्र सिरोही,शिवगंज से लेकर जयपुर विधानसभा से लेकर प्रदेश और कोंग्रेस की राजनीति और प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक ओर सोसल मीडिया में पूर्ण सक्रिय रहे इसी का परिणाम है कि भले ही सीएम अशोक गहलोत ने उन्हें अपने मंत्री मण्डल में शामिल नही किया लेकिन अपनी धाकड़ कार्य शैली, विरोधियो पे निर्मम प्रहार,कोंग्रेस सरकार और संगठन में मुद्दों को लेकर उनकी हर ज्वलन्त विषयो पे बुलन्द विचारो की अभिव्यक्ति ओर जनता से सतत संवाद बनाये रखने की नीति से उनके राजनीतिक ग्राफ में कोई कमी नजर नही आई और जनता का उनपे भरोसा कायम है।
गत भाजपा व कोंग्रेस सरकार के कार्यकाल में वो भले ही चुनाव हार गए और राजनीतिक विश्लेशको व कोंग्रेस व भाजपा के विरोधियो ने उन्हें राजनीतिक रूप से हाशिये पर डालने की हर सम्भव कोशिश की पर विपक्ष की भूमिका में विधायक संयम लोढा ने कोंग्रेस पार्टी को जिले में जिंदा ही नही रखा विपक्षी तीखे तेवरो में पूर्व गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी व जिला प्रशाशन की भी नाक में दम करते हुए शिक्षा, चिकित्सा, पेयजल,सड़क, 4 लेन हाइवे,दलित अत्याचार,हत्याओ के विरोध में जम कर आंदोलन किये और जनता की दुखती नसों के मुद्दे बना कर भाजपा सरकार को घेरा ही नही भाजपा का जिला मुख्यालय पे कार्यालय भी नही खुलने दिया और भाजपा शाषित सिरोही नगर परिषद व शिवगंज नगर पालिका को अस्थिर करते हुए भरस्टाचार के मुद्दों पे घेरा व आखिरकार सिरोही व शिवगंज के सभापति व अध्यक्ष को निलंबित करवाने में अहम भूमिका निभाई।
जहां कोंग्रेस में उनकी टक्कर का कोई नेता नही था और भाजपा की भीतरघात ओर सेंधमारी की व्यूह रचना में गत विधानसभा चुनाव में कोंग्रेस ने उनका टिकट काट कर उनके शागिर्द कोंग्रेस जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य को टिकट देकर सीएम अशोक गहलोत ओर तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष कोंग्रेस सचिन पायलट ने राजनीतिक विद्वेष के चलते उनके पर कतरने की कोशिश की लेकिन कोंग्रेस का दांव उल्टा पड़ा।और सतत 10 साल तक विपक्ष में रह कर कोंग्रेस की जिले में पतवार हांकने वाले मांझी का टिकट कटने से उनके पक्ष में सहानुभूति का वातावरण बना और एस सी,एसटी,ओबीसी ओर जनरल कास्ट भी खुल के उनके साथ आई।और गोपालन राज्य मंत्री भीतरघात का शिकार बने और जावाल हत्या प्रकरण,सिरोही गन्दा पानी प्रकरण,ओर भोपाजी को बाहरी प्रत्याशी बता कर लोढा ने धुआंधार चुनावी प्रचार में कोंग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त करवा दी और भोपाजी को तीसरी बार विधानसभा में जाने से रोका इस तरह कोंग्रेस तो तीनों विधानसभा क्षेत्र में कोंग्रेस मुक्त हो गई और कद्दावर नेता नीरज डांगी को भी रेवदर में हारना पड़ा।
गत विधानसभा चुनाव में कोंग्रेस ने जस तस बहुमत जुटा दिया और बसपा के विधायकों के समर्थन के चलते विधायक संयम लोढा को मंत्री पद नही मिला और भाजपा भी सरकार बनाने में बहुमत से दूर रही तब ऐसा वातावरण बना था कि सरकार किसी की भी हो विधायक लोढा मंत्री अवश्य बनेगे।पर कोंग्रेस की गहलोत सरकार में उन्हें मंत्री पद तो नही मिला पर उन्हें व उनके सहयोगी कोंग्रेसियो को कोंग्रेस ने संगठन से निष्काषित कर दिया।पर निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने विधान सभा मे क्षेत्र और प्रदेश की समस्याओं पर पक्ष और विपक्ष को ऐसा घेरा की उनके जबरदस्त परफॉर्मेंस के चलते उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक के तमगे से राज्य सरकार ने नवाजा ओर विधायक लोढा ने भी क्षेत्र के विकास के लिए कोंग्रेस सरकार को समर्थन दिया और गत स्वायत्त शाशि चुनावो से पहले कोंग्रेस को उनका व उनके समर्थकों का निलंबन रदद् करना पड़ा तथा सिरोही नगर परिषद ओर शिवगंज नगर पालिका में बोर्ड बनाने की जिम्मेदारी सौपी जिसे उन्होंने बखूबी निभाते सिरोही व शिवगंज स्वायत शाशि संस्थाओ में बहुमत के साथ कोंग्रेस के बोर्ड बनाये ओर माउंट आबू नगर पालिका में भी उनका हस्तक्षेप रहा जिसके चलते माउंट आबू में भी कोंग्रेस का बोर्ड बना।
इसी दौरान विश्व मे कोरोना महामारी का प्रकोप हुआ जिसका असर सिरोही जिले व सिरोही विधानसभा क्षेत्र पर भी पड़ा लेकिन विधायक संयम लोढा जान जोखिम में डाल कर घर पे बैठे नही रहे और कोविड महामारी से निपटने में केंद्र, राज्य सरकार की गाइड लाइन,प्रवासियों व मजदूरों की घर वापसी,कोविड में चिकित्सा और सरकारी सहायता कोई व्यक्ति भूखा न सोये के लिए दिन रात एक कर सिरोही व जयपुर तक दौड़ लगाते दिखे ओर प्रशाशनिक व चिकित्सा अधिकारियों की भी नाक में जन असुविधाओ के समाधान में तीखे तेवरो के साथ दम करते रहे जिसमे पक्ष और विपक्ष दोनो भूमिकाये उन्होंने निभाई।इसी दौरान कोंग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने गहलोत सरकार को अल्प मत में ला प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की ठानी ओर राजनीतिक प्रहसन,जोड़ तोड़,खरीद फरोख्त का नाटक जयपुर,जैसलमेर,दिल्ली,हरियाना, गुड़गांव तक चला,राज भवन तक कोंग्रेस सरकार ने मोर्चे खोले उस समय विधायक लोढा गहलोत सरकार को बचाने में संकट मोचक की तरह उभरे ओर हर मोर्चे पे सीएम अशोक गहलोत की ढाल बने और आखिर कार कोंग्रेस आलाकमान की मध्यस्थता के बाद सचिन पायलट ओर बागी विधायकों की घर वापसी हुई और कोंग्रेस सरकार विश्वास मत हासिल करने में सफल रही तब प्रदेश वासियो ओर जिले की जनता में विश्वास जगा की अब निर्दलीय विधायक संयम लोढा को राज्य की कैबिनेट में शामिल किया जाएगा पर पूर्व प्रदेशाध्यक्ष पायलट इसमे बाधक बने।
और अब संभावना है कि गत पंचायती राज ओर स्वायत्त शाशि संस्थाओ के चुनाव परिणामो में कोंग्रेस की जो पोजिशन हुई है अब मन्त्रिमण्डल के विस्तार की संभावनाएं बलवती दिख रही है ओर कोंग्रेस आलाकमान के निर्देशों के बाद पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को अहम जिम्मेदारी के साथ उनके संमर्थक विधायको को केबीनेट व राज्य मंत्री व संसदीय सचिव का पद मिल सकता है और प्रदेश कोंग्रेस को 29 दिसम्बर तक कोंग्रेस हाई कमान को मंत्री मण्डल विस्तार व अन्य बिन्दुओ की रिपोर्ट भेजनी है उसमें राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि कोंग्रेस के एसोसिएट मेंबर ओर निर्दलीय विधायक संयम लोढा को मंत्री पद मिला तो इसका फायदा कोंग्रेस को प्रदेश जोधपुर संभाग ओर सिरोही ,जालोर पाली में मिलेगा।अब देखना यह है कि कोंग्रेस हाईकमान ओर प्रदेश नेतृत्व मंत्री मंडल विस्तार के बाद विधायक संयम लोढा को मंत्री पद से नवाजता है या नही? #
संघर्ष ने दिलाई सिरोही विधानसभा को सौगात # मोदी सरकार ने भले ही सिरोही में मेडिकल कालेज स्वीकृत किया लेकिन भूमि आवंटन से लेकर विधानसभा में मुद्दा लोढा ने गुंजाया,
जावाल में नगर पालिका,
सिरोही में टाउनहाल,
सिरोही में स्टेडियम,
सिरोही में क्रिकेट अकादमी,
सिरोही में ला कालेज की मान्यता,भूमि आवंटन व पावापुरी ट्रस्ट से भवन निर्माण,
सिलदर में नया अस्पताल,
शिवगंज में रीको में ज्वेलरी हब,
शिवगंज अस्पताल में भामाशाहो के सहयोग से विकास कार्य,
सिरोही में कोविड लेब की स्थापना,
सिरोही नगर परिषद के नए भवन के लिए भूमि आवंटन,यूथ क्लब के लिए भूमि आवंटन, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के नए भवन के लिए भूमि आवंटन,
खाली पदों को भरवाने का काम,
कांग्रेस में नही होने के बावजूद शिवगंज में ब्लाक कांग्रेस का भवन बनवा कर सीएम के हाथों ऑनलाइन लोकार्पण करवा कर उन्होंने अपने 2 साल के कार्यकाल में बहु आयामी क्षमताओं का परिचय दिया जिससे उनके विरोधी भी उनके कायल हुए।
तीन साल में चुनोतियो व जन अपेक्षाओं पे उतरना होगा खरा गत विधानसभा व नगर परिषद के चुनावों में उनके वादे जो अधूरे है वो उनके लिए गहरी चुनोती है।
जिला मुख्यालय सिरोही में न तो सब्जी मंडी है न अनाज मंडी, 4 लेंन हाइवे पे टोल वसूली रुकवाना, जेल को अन्यत्र बनवाना, लोकसभा क्षेत्र सिरोही से जालोर को नेशनल हाई वे से जुड़वाना,
सिरोही में हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनी बनवाना,
सिरोही हवाई पट्टी को शीघ्र चालू करवाना ताकि धार्मिक पर्यटन का विकास हो सके,
सिरोही में केंद्रीय विद्यालय खुलवाना,
पिंडवाड़ा में एक्सप्रेस ट्रेन के स्टॉपेज करवाना व रेलवे स्टेशन को बी ग्रेड में लाना,
सिरोही को सेई बांध का पानी दिलवाने के लिए पाइप लाइन बिछवाना,कालकाजी,मानसरोवर बांध से अतिक्रमण हटवा उसकी भराव क्षमता बढ़ा नगर की पेयजल समस्या का समाधान ओर पर्यटन स्थल को विकसित करना,बदहाली की शिकार सिरोही नगर परिषद को भूमाफियाओं के अतिक्रमण से मुक्त कर करोड़ो की राजस्व आय अर्जित कर राजीव नगर व शार्दुलपुरा आवासीय योजना से अतिक्रमण हटवा आम जन को आवास दिलवाना,
अनादरा चौराहे से विजयपताका तक सड़क को चौड़ा करवाना व चौराहों का विकास व विस्तार करवाना,सिरोही नगर परिषद के मुख्य मार्ग व चौराहों से अस्थायी अतिक्रमण हटवा जिला मुख्यालय का सौंदर्यीकरण,
गांधी पार्क का विकास व विस्तार,आवारा पशुओं की समस्या का समाधान व अर्बुदा गोशाला के अतिक्रमण हटवा गो अभ्यारण्य बनवाना,
रोजगार के लिए सरकारी उधोग खुलवाना
सीवरेज योजना को समय पर पूरा करवाना,
सिरोही के छोटे तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करवाना,
सिरोही के आराध्य देव सारणंनेश्वरजी मन्दिर क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं व सड़क व चोराहो का विकास,
मिनी सचिवालय का निर्माण,
टाउनहाल का निर्माण,
जिला अस्पताल का विकास व नए उपकरणो की व्यवस्था,
जावाल में सिटी डिस्पेंसरी का निर्माण,
ये कुछ महत्वपूर्ण कार्य है जो उनकी चुनावी वायदों ओर जन अपेक्षा भी है जो उनके लिए बड़ी चुनोती है। राजकीय चिकित्सालय की बदहाली में अभी भी सुधार नही होने से आम मरीज इलाज कराने को गुजरात जाने को मजबूर है तथा अवैध निजी नर्सिंग होम व लेबोरेटरीज,व घर बैठ कर इलाज करने वाले सरकारी डॉक्टरों की कुटिल नीतियो से आर्थिक नुकसान भुगतता है उससे निजात दिलाने में जिले की जनता की मांग वो तीन साल में पूरी करते है या नही इसपे जनता की नजर है।