By Sirohiwale
भारतीय वायु सेना के पायलट (IAF Pilot) अभिनंदन वर्धमान की वतन वापसी को लेकर खुशी का माहौल है. पूर्व सेना प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (VK Singh) ने कहा कि विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को रिहा करके पाकिस्तान कोई एहसान नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में भारत ने भी 90 हजार पाकिस्तानी युद्धबंदी सैनिकों को लौटाया था.
उन्होंने ट्वीट किया, 'विंग कमांडर अभिनंदन को वापस लौटाकर पाकिस्तान ने कोई एहसान नहीं किया है. जेनेवा संधि के तहत युद्ध के दौरान बंदी किसी भी जवान को उसके देश को सौंपना होता है. हमें 1971 को नहीं भूलना चाहिए, जहां हमने 90 हजार युद्धबंदियों को पाकिस्तान को वापस लौटाया था.'
इससे पहले उन्होंने एक ट्वीट किया था, विंग कमांडर अभिनंदन को लौटना एक स्वागत योग्य कदम है.
Geneva Convention: क्या है जेनेवा संधि?
जेनेवा संधि के अनुसार युद्धबंदियों (POW) के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए. उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. साथ ही सैनिकों को कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी. जेनेवा संधि के तहत युद्धबंदियों को डराया-धमकाया नहीं जा सकता. इसके अलावा उन्हें अपमानित नहीं किया जा सकता. इस संधि के मुताबिक युद्धबंदियों (POW) पर मुकदमा चलाया जा सकता है. इसके अलावा युद्ध के बाद युद्धबंदियों को वापस लैटाना होता है. कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता. युद्धबंदियों से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है.