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प्रखर वक्ता संयम लोढा को मिला 2020 के सर्वश्रेष्ठ विधायक का अवार्ड

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

रिपोर्ट हरीश दवे

राजस्थान विधानसभा में प्रवेश करने के बाद पक्ष सत्ता का हो या प्रतिपक्ष का सिरोही विधायक संयम लोढा ने अपने पूर्व के दस वर्ष के विधायक काल में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार को विधानसभा में हिलाकर रख दिया था। इसी वजह से लोढा की आंधी को विधानसभा में रोकने के लिए भाजपा को मुण्डारा से ओटाराम देवासी आध्यात्मिक नेता को चुनावी मैदान में उतार दस वर्ष विधायक संयम लोढा को विधानसभा से बाहर रहना पडा।

लेकिन दस साल के विपक्षी काल में सडक पर आन्दोलन कर जब वो भोपाजी को हरा मौजूदा विधानसभा में तीबारा निर्दलीय विधायक के रूप में पहुंचे और सत्ता पक्ष तथा विपक्ष भाजपा दोनो को मौजूदा सरकार व गत सरकार के मुद्दो को लेकर जमकर घेरा और सरकार व विपक्ष की विधानसभा में नींद उडायी इसी का परिणाम है कि विधानसभा में पूरी तैयारियो के साथ व्यक्ति समर्पित भाव, प्रमाणिकता एवं पुरी तैयारियो के साथ अपनी बात सटीक रूप से रखता हैं तब प्रतिभा का मुल्यांकन होता हैं ओर उसे एवार्डो से नवाजा जाता हैं। प्रतिभा को उभरने के अवसर मिले तो प्रतिभा जरूर उभर कर बाहर आती है। इसी कारण सिरोही के निर्दलीय विधायक संयम लोढा को वर्ष 2020 का सर्वश्रेष्ठ विधायक का अवार्ड से नवाजा गया। यह घोषण आज 13 मार्च 2020 को राजस्थान विधानसभा मे विधानसभाध्यक्ष डाॅ सी पी जोशी ने की।

यह अवार्ड 25 मार्च को विधानसभा मे एक समारोह मे लोढा को प्रदान किया जायेगा। इसी तरह डाॅ जोशी ने वर्ष 2019 का सर्वश्रेष्ठ विधायक का एवार्ड पाली के वरिष्ठ विधायक ज्ञानचंद पारख को देने की घोषणा की।

‘‘मापदंडो पर खरे उतरे लोढा’’

विधानसभा मे ‘‘बेस्ट विधायक’’ का अवार्ड देने के अपने मापदंड है और संयम लोढा ने उन मापदंडो पर खरे उतरे ओर चयन के लिए गठित समिति ने इनका चयन कर वास्तव मे एक प्रशंसनीय कार्य किया हैं। राज्य की जनता देख रही है कि पिछले अनेको सत्रो मे संयम लोढा ने ध्यानाकर्षण, पर्ची के माध्यम से, प्रश्नकाल के माध्यम से व बजट व अन्य सत्रों मे बहुत ही तर्कसंगत बहस कर अपनी प्रतिभा को सदन के समक्ष रखा ओर सदन की चयन समिति ने उनको 2020 के ‘‘सर्वश्रेष्ठ विधायक’’ के रूप मे चयनित कर यह एवार्ड देने की अनुशंषा की।

शिवगंज नगर सेठ के पुत्र है लोढा

राजस्थान के सिरोही जिले के प्रमुख व्यावसायिक नगरी ‘‘शिवगंज’’ मे नगर सेठ स्व. प्रकाशराज जी लोढा के सुपुत्र संयम लोढा का जन्म 20 जनवरी 1965 को हुआ ओर उन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा शिवगंज मे ली, कालेज शिक्षा फालना से व विधि की डिग्री जोधपुर युनीवर्सिटी से लेकर व राजनीति मे 1987 मे एन एस यु आई मे सुयंक्त सचिव के रूप मे प्रवेश किया ओर कडी मेहनत कर आज इस मुकाम पर पहुंचे।

छात्र जीवन से ही प्रखर वक्ता रहे लोढा

सिरोही के विधायक संयम लोढा ने आज से 41 वर्ष पहले 1979-80 मे हाई स्कुल, 1981-84 मे एस पी यू कालेज फालना, 1985-87 मे जोधपुर युनीवर्सिटी से बेस्ट ओरेटर (वक्ता) का खिताब हासिल किया। ओर यह परम्परा उन्होंने आगे भी जारी रखते हुए आज राजस्थान विधानसभा मे वर्ष 2020 मे ‘‘बेस्ट विधायक’’ का खिताब जीतकर अपनी प्रतिभा को विशिष्ठ रूप से उभारा हैं।

यहां से उनका राजनीति मे कद लगातार बढता ही चला ओर वे 1988 मे एन एस यु आई के प्रदेश महासचिव, 1990 मे जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष, 1992 मे प्रदेश महासचिव युथ कांग्रेस, 1995 मे प्रदेश उपाध्यक्ष, 1997 मे पीसीसी सदस्य, 2005 मे ए आई सी सी सदस्य, 2008 व 2013 मे वे चुनाव घोषणा पत्र समिति के सदस्य बने, 1999 मे पीसीसी के सचिव व 2010 मे कांग्रेस राज्य परिषद के सदस्य बने।

नेतृत्व के गुण है छात्रजीवन से

1979-80 मे स्कुल के, 1980-81 मे हायर सैकण्डरी स्कुल के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे व 1983-84 में फालना कॅालेज छात्रसंघ के सचिव भी रहे।

अन्याय के प्रति दिल मे है दर्द

संयम लोढा के दिल मे पिछडे, शोषित व उपेक्षित वर्गो के बीच मे रहकर उनकी समस्याओं को जानने व उन्हें आगे बढाने को लेकर विशेष रूची शुरू से रही हें। शिवगंज मे ‘‘श्यामा हत्या कांड’’ को लेकन उन्होंने जिस तरह समाज को जगाया व सडको पर उतारा ओर हत्यारों को पकडवाया उस दिन से ही यह लग रहा था कि ये युवा बहुत आगे बढेगा। ओर हकीकत मे भी लगातार जनता के बीच मे रहकर जनता की आवाज, समस्या एवं उन पर होने वाले अत्याचारों के विरूद्ध वे लडते रहे ओर जनता उनके साथ खडी होती रही ओर यही कारण है कि वे तीसरी बार निर्दलीय चुनाव लडकर विधानसभा मे पहुंचे।
पुरी जानकारी के साथ उठाते है मुद्दे

संयम लोढा एक ऐसा व्यक्तित्व है जो हर विषय की जानकारी, तर्क, उसके सामाजिक, राजनैतिक व कानुनी पहलुओ पर पुरा अध्ययन के बाद ही वे उस विषय वस्तु को उठाते है ओर प्रखरता से उभारते है। उनकी तार्किकता गजब की हैं, पुरी समझदारी व उतरदायित्व के साथ वे उसका प्रस्तुतीकरण करते हैं। वे अपने विचार जब रखते है तो वे धाराप्रवाह के साथ पुरे तथ्य रखते हैं ओर कभी भी तथ्यों को रखते वक्त झुठ का सहारा नही लेते है। मां सरस्वती का उन पर शुरू से वदरहस्त होने से वे स्कुल, कालेज, युनीवर्सिटी, सार्वजनिक सभाओ के साथ साथ हर सदन मे वे जब अपनी बात रखते है तो श्रोता पुरी गंभीरता से उनको सुनता हैं और उनके भावों के साथ जुड जाता हैं। यही कारण है कि उन्हें इस वाकचार्तुयता के कारण बडे बडे स्तर पर अपनी बात रखने का अवसर मिलता हैं। इतनी कम आयु मे उन्हे जन लेखा समिति , बी ए सी, नियम समिति मे सदस्य व सी पी ए राजस्थान का सचिव बनने का सुअवसर मिला। अभी हाल ही मे उन्होने युगांडा सम्मेलन मे भी राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया।

विधायी अनुभव

संयल लोढा को पहली बार 1998 से 2003 व 2003 से 2008 तक कांग्रेस पार्टी से सिरोही-शिवगंज का विधायक बनने का सुअवसर मिला ओर वर्तमान मे भी वे इसी क्षेत्र से विधायक निर्दलीय हैं। विधानसभा में कार्यवाहक स्पीकर के रूप मे एवं मोहनलाल सुखाडिया विश्व विद्यालय के प्रबंधक बोर्ड मे भी काम करने का अवसर मिला।
न्यायालयो मे जनता के लिए लडी लडाई

संयम लोढा एक जागरूक व सजग जन नेता होने के कारण उन्होने जनता को राहत दिलाने के लिए हाईकोर्ट के भी दरवाजे खट खटाये ओर जनहित याचिका लगाकर वहां भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने मुख्यमंत्री सहायता कोष से बलात्कार की शिकार बालिकाओं को आर्थिक सहायता दिलाने की याचिका लगाकर 2007 मे राहत दिलाने का आदेश कोर्ट से दिलवाया। उन्होने जवाईबांध से शिवगंज के लिए पानी रिजर्व करवाने के आदेश भी एक जनहित याचिका के माध्यम से पारित करवाया। उन्होने एक ओर जनहित याचिका मे फलोराईड के दुषित पानी से राहत दिलवाने की मांग की जिस पर 8 करोड 54 लाख का प्रावधान करवाया। उन्होने राजस्थान उच्च न्यायालय मे याचिका कर सिरोही जिले में पेयजल की शुद्धता के लिए मशीनरी लगवाने का आदेश करवाया।

शिवगंज के वाल्मिकी समाज के 27 सफाई कर्मचारियों को रोजगार दिलवाने के लिए भी उन्होंने कानूनी लडाई लडी ओर उनको रोजगार दिलवाया।
उन्होंने राजस्थान विधानसभा मे विधायको को कम से कम 60 सिटिंग होने का आदेश राजस्थान उच्च न्यायालय से करवाने मे भी सफलता प्राप्त की।

‘‘बेस्ट एवार्ड पाये’’

संयम लोढा ने 1980-81 मे शिवगंज स्कुल मे ‘‘बेस्ट स्टुडेंट’’ का एवार्ड मिला। 1979-80 मे उन्हे स्कुल मे, 1981-84 मे कालेज मे, 1985-87 मे जोधपुर युनीवर्सिटी मे, 1986 मे जयपुर युनीवर्सिटी मे, 1987 मे मराठवाडा युनीवर्सिटी मे ‘‘बेस्ट ओरेटर’’ के एवार्ड से नवाजा गया।

कलम के है धनी

स्कुल शिक्षा सें ही वे कलम के धनी रहे ओर उन्होने स्कुल की मेगजीन का सम्पादन किया ओर आगे बढे तो उन्हे काॅलेज व युनीर्वसिटी की मेगजीन के सम्पादन व सम्पादक बनने का अवसर मिला।

पत्रकारिता मे रही रूची

उन्होने पत्रकारिता के क्षेत्र मेें भी काम कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होने सिरोही जिले से पत्रकारिता प्रारम्भ की ओर राजस्थान पत्रिका में रिर्पोटिग भी की ओर बाद में राजस्थान पत्रिका जोधपुर मे उप सम्पादक के रुप में भी काम किया। लोढा ने देश के अनेक समाचार पत्रों मे समसामायिक लेख लिखकर अपने विचार खुले रुप में रखे हैं। उन्होने ‘‘जवाई संदेश ‘‘साप्ताहिक समाचार पत्र का भी प्रकाशन किया व सिरोही-पाली-जालोर जिले की जनसमस्याओं को प्रमुखता से रखा।

सामाजिक मुद्दो पर जागरुकता

महिलाओं के शोषण, देहज प्रथा व अन्य सामाजिक कुरीतियो के विरुद्ध उन्होने खुलकर जन आन्दोलन किये। जो कही उसे अपने जीवन मे उतारने का एक उदाहरण भी इन्होने प्रस्तुत किया। उन्होने बिना दहेज लिए आर्य समाज मे खुद विवाह कर समाज के समक्ष एक प्रेरक उदारण प्रस्तुत किया। उन्होने सामप्रदायिक के विरुद्ध नुक्कड नाटक प्रस्तुत कर इसके लिए भी हमेशा लडाई लडते रहे है।

सामाजिक सेवाओं मे रहे अग्रसर

उन्होने अकाल, बाढ, प्राकृतिक आपदा में गरीबी, अशिक्षा, एवं असमानताओं के विरुद्ध हर वक्त लडाई लडी। शराब बंदी व परिवार कल्याण के लिए भी अनेक योजनाओं के तहत जन जागृति के लिए कार्य किया।
राज्य के सोजत, जोधपुर, व जावाल मे जब भी साम्प्रदायिक दंगे हुऐ तो उन्होने सामाजिक समरसता के लिए आगे आकर कार्य किए ओर प्रभावितो को राहत दिलवाई।

कांगे्रस संगठन मे रहा योगदान

33 जिलो मे सगंठन का काम किया अखिल भारतीय कंागे्रस कमेटी की ओर से अनेक चुनावों में इनको पर्यवेक्षक बनने का अवसर मिला। 1988-89 मे 22 दिन की युवा पद ज्योति यात्रा मे भी भाग लिया। 1997 मे ‘‘ आओ भारत बनावे ‘‘ पद यात्रा आदिवासी क्षेत्रो मे की। अनेक राजनैतिक रैलियो से उन्हे अपनी व कांगे्रस की विचारधारा व्यक्त करने का अवसर मिला। 1996 मे उनको गोल्डन जुबली संदेश यात्रा का प्रदेश प्रभारी बनने का भी अवसर मिला।1995 म व 2004 मे निकाय चुनावों मे पर्यवेक्षक बनने का भी अवसर मिला। 2004मे उन्हे पाली ससंदीय क्षेत्र मे प्रभारी बनाया गया। 2006 मे मध्यप्रदेश कांग्रेस संगठन चुनाव मे भी प्रभारी बनने का मौका मिला। 2014 मे उपचुनाव मे व अनेक चुनावों मे उनको काम करने के अवसर मिले।    

कार्य के प्रति समर्पण

जब वे दो बार सिरोही से चुनाव हार गये तब भी वे 10 साल तक जनता के हर दुःख सुख मे खडे रहे ओर सिरोही जिला अस्पताल मे जब डाक्टरो की कमी को बीजेपी सरकार पुरा नही कर रही थी तो उन्होंने जनहित याचिका लगाकर डाक्टरो व नर्सिंग स्टाफ के खाली पदो को भरवाकर जनता को भारी राहत दिलाई। सिरोही की हर समस्या के समाधान के लिए वे अब पुरी तनम्यता से लगे हुए है ओर डेढ वर्ष के अल्पकाल मे उन्होने मेडिकल काॅलेज, ओडीटोरियम, स्टेडियम, क्रिकेट एकादमी, लाॅ कालेज का निर्माण व नगरपरिषद के नये भवन के निर्माण के कार्यो को स्वीकृत करवाकर सिरोही मे विकास की मजबुत नींव रखने मे सफलता हासिल की हैं।

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