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असहिष्णु व अधीर युवा शक्ति को साहित्यकार ही दे सकता हैं सही दिशा: जिला कलेक्टर सोलंकी

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

रिपोर्ट हरीश दवे

सिरोही, राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के सहयोग से अजीत प्राच्य एवं समाज विद्या संस्थान की ओर से एस पी कॉलेज सभागार में सिरोही हिंदी साहित्य उत्सव की शुरुआत हुई। दो दिवसीय इस आयोजन के पहले दिन जिला कलेक्टर सुरेंद्र कुमार सोलंकी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता  करते हुए साहित्य उत्सव का उद्घाटन किया।

जिला कलेक्टर ने वर्तमान साहित्य परि दृश्य पर प्रकाश डालते हुए युवा पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने का आवाह्न किया।

उन्होंने कहा समाज अभी संक्रमित काल में है। युवा शक्ति असहिष्णु ओर अधीर है ऐसे में उन्हें साहित्यकार ही सही दिशा दें सकता है। डिजिटल संचार माध्यमों ने हमारी कल्पना शक्ति को प्रभावित किया है और साहित्य के पठन से उसका निदान किया जा सकता है। वर्तमान में साहित्य और साहित्यकार वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मददगार हो सकता है।

कार्यक्रम के संयोजक सचिव आशुतोष पटनी ने सभी अतिथियों को आयोजन की रूपरेखा से अवगत कराया साथ ही सिरोही की साहित्यिक परम्परा पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता डॉ कौशल नाथ उपाध्याय ने समकालीन साहित्य के परिदृश्य की चुनौतियों और सम्भावनाओं से रूबरू कराया।उन्होंने समकालीन साहित्यकारों का उल्लेख करते हुए समाज की चुनौतियों पर साहित्यकारों की भूमिका पर चर्चा की। साहित्य एवं बाजार के मूल्यों का उल्लेख कर समकालीन चिंताओं से रचनाकारों को अवगत कराते हुए उन्हें सतर्क रहने की नसीहत दी साथ ही बताया कि साहित्यकार ही समाज और सभ्यता का प्रतिबिंब है। इस हिंदी साहित्य उत्सव में जालौर, पाली, राजसमंद, उदयपुर, जोधपुर के साहित्यकार भाग ले रहे हैं।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में राजस्थान के समकालीन कथेतर साहित्य पर चर्चा हुई। सत्र के मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार जोधपुर के हरिदास व्यास ने राजस्थान के कथेतर साहित्य की परंपरा पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान स्थितियों पर चर्चा की। डॉ. हरिदास व्यास ने राजस्थान के युवा लेखकों द्वारा कथेतर साहित्य के सृजन में किए जा रहे प्रयोगों का उल्लेख करते हुए कथेतर साहित्य के भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कथेतर साहित्य समाज की हकीकतों को गहराई से बया करता है। अब कथेतर साहित्य नई दिशा की ओर चल पड़ा है। सोशल मीडिया ने भी कथेतर साहित्य के सृजन में योगदान दिया है। सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात उपन्यासकार पुरुषोत्तम पोमल ने की एवं मंच संचालन डॉक्टर विभा सक्सेना ने किया।

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