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बच्चो को बनाना है तंदुरुस्त ओर तेज तर्रार तो करावे स्वर्णप्राशन संस्कार- डॉ सुनन्दा जैन सिंघवी।

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

रिपोर्ट हरीश दवे

सिरोही देवधरा सिरोही में निरोगी राजस्थान की मुहिम में जिले की जनता को आयुर्वेदिक पद्धति की चिकित्सा और परामर्श के जीवन ज्योति आयुर्वेदिक क्लिनिक की ख्यातनाम चिकित्सक गोल्ड मैडलिस्ट मुम्बई एवम पतंजलि हरिद्वार से प्रशिक्षण प्राप्त डॉ सुनन्दा जैन संघवी ने बताया कि क्लिनिक में भारत की प्राचीन पद्धति स्वर्णप्राशन चिकित्सा पद्धति से जन्म से लेकर 16 साल के बच्चो में रोग प्रति रोधक क्षमता बढ़ाई जाती है।

जिसमे बालको को शुद्ध स्वर्ण, शुद्ध गाय के घी, मधु तथा अन्य महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधियों के मिश्रण को पुष्य नक्षत्र चटाया जाता है।

यह एक प्रकार की आयुर्वेदिक इम्यूनाइजेशन विधि है।

डॉ सिंघवी ने बताया कि प्रतिमास पुष्य नक्षत्र के दिन प्रातःकाल खाली पेट स्वर्णप्राशन आरम्भ करना श्रेष्ठ रहता है। स्वर्णप्राशन क्रिया से बालक अन्य बालको की तुलना में कम से कम बीमार होता है।और रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता,ओर शारीरिक विकास,घ्राण शक्ति,स्मरण शक्ति बढ़ती है जिससे बच्चा तेजस्वी ओर कुशाग्र बुद्धि ,पाचन क्षमता का विकास,एवम शारीरिक व मानसिक विकास,त्वचा में निखार एवम हड्डी व मास पेशियों को मजबूती मिलती है।

इस वर्ष बार पुष्य नक्षत्र का योग 12 जनवरी, 8 फरवरी, 6 मार्च, 3 अप्रैल, 30 अप्रैल ओर 27 मई को है जिसके लिए बच्चो के अभिभावक शांतिनगर स्तिथ क्लिनिक में नित रोज प्रातः सात से नो बजे सायंकाल 8 से 9 तक स्वर्णप्राशन तैयार कराने के लिए पंजीयन करवा सकते है। डॉ सुनन्दा जैन सिंघवी ने बताया कि उनका उद्देश्य महँगे हो रहे चिकित्सा तंत्र में रोगियों का आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार कर उन्हें निरोगी ओर महंगे दवाई के खर्च से राहत दिलाना है।क्लिनिल में फस्र्ट स्टेज के कैंसर, त्वचा रोग, आर्थ राइटिस, जोड़ो के दर्द अधिक कम वजन हार्मोन असुंतलन, सर्दी, दन्त, मसूड़ों आदि अनेक व्याधियो का सफलता पूर्वक उपचार होता है।

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