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सरकार ने लागू की राजस्थान सिलिकोसिस पालिसी

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

संयोजक हरीश दवे

पत्थर घड़ाई मजदूर संघठन के लगातार संघर्ष, पैरवी और प्रयासों से राज्य सरकार द्वारा सिलिकोसिस की पहचान, बचाव, नियंत्रण और पुनर्वास पर एक नई पोलिसी लागु की गई है. इस पोलिसी का कल जयपुर के बिरला सभागार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा अनावरण किया गया. इस पालिसी में पीड़ित श्रमिको नगद सहायता राशी और पेंशन दी जाएगी. इसके अलावा पत्थर घड़ाई या किसी भी प्रकार की खतरनाक सिलिका भरी धूल उड़ाने वाले हर व्यवसाय को जोखिमपूर्ण काम घोषित किया गया है. अब पत्थर घड़ाई या अन्य किसी भी प्रकार का जोखिमपूर्ण काम करने वाले हर कारखाने और इकाई को फैक्ट्री एक्ट और अन्य संभंधित कानूनों के तहत अनिवार्य रूप से पंजीकरण करवाना होगा, चाहे इनमे सिर्फ एक व्यक्ति ही काम क्यों ना करता हो.
अब हर हर कारखाने और फैक्ट्री को सभी सुरक्षा मानको और नियमो का पालन अनिवार्य रूप से करना पड़ेगा. इस निति में विशेष रूप से यह स्पस्ट किया गया है कि सभी उद्योगों और कारखानों को धुल नियत्रण की तकनिकी को आवश्यक रूप से अपनाना होगा. अब धूल उड़ाने वाली मशीनों के उपयोग और उनके उत्पादन पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगाया जायेगा. अब सभी कारखानों और इकाइयों को श्रमिको को मास्क देने की जगह धुल उड़ाने वाली मशीनों पर धूल नियंत्रण के उपकरण अनिवार्य रूप से लगाने होंगे. धूल नियंत्रण पर शोध और प्रयोग के लिए छोटी इकइयो और कारखानों को सरकार द्वारा सहयता भी प्रदान की जाएगी.
सिलिकोसिस पीड़ित श्रमिको के लिए विशेष कोष बनाकर पीड़ित श्रमिको को विशेष दर्जा देते हुए उन्हें और उनके आश्रितो को पेंशन, बच्चो को विशेष छात्रवृत्ति, 5 लाख सहायता राशी, आस्था कार्ड, विशेष प्रशिक्षण और रोजगार जैसी अनेको सुविधाए प्रदान की जाएगी. इसके अलावा श्रमिको को कर्मकार क्षतिपूर्ति, कर्मचारी राज्य बिमा निगम आदि कानूनों के अंतर्गत मुवावजा दिलवाने के लिए विशेष कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी.

 

क्या है स्थित

पिंडवाड़ा में 230 से अधिक कारखाने हैं जहाँ 15,000 से अधिक श्रमिक दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों के निर्माण का काम करते हैं। भारत के अलावा न्यूयॉर्क से लंदन और ऑस्ट्रेलिया से अबुधाबी तक सभी विश्वप्रसिद्ध मंदिर पिंडवाड़ा के श्रमिकों द्वारा बनाए गए हैं। भले ही इस काम को करने वाले ये श्रमिक अतिकुशल कारीगर हैं, लेकिन इस उद्योग में काम करने वाले प्रत्येक 10 श्रमिकों में से 4 आज सिलिकोसिस की घातक बीमारी से पीड़ित है।
अकेले पिंडवाड़ा में ही अब तक हजारो की संख्या में सिलिकोसिस पीड़ित मजदूरों म्रत्यु हो चुकी है. आज सिरोही में 2000 के करीब मजदूर सिलिकोसिस से पीड़ित हैं जिन्हें राज्य न्यूमोकोनियोसिस बोर्ड द्वारा प्रमाणित किया गया है और 2100 से अधिक श्रमिको की जाँच होना बाकी है। पत्थर घड़ाई के काम में ग्राइंडर, कटर और ड्रिलर्स का उपयोग करते हुए सिलिका से भरे पत्थरों को तराशने से श्रमिको को सिलिकोसिस नामक बीमारी हो जाती है। आज इन मशीनों में धूल नियंत्रण की कोई सुविधा नहीं है। पाथर गढाई मजदूर सुरक्षा संगठन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, पिंडवाड़ा में एक औसत कारखाने में धूल का स्तर सुरक्षा स्तर से 3 गुना अधिक है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पिंडवाड़ा में पूरे राज्य में कामकाजी उम्र के पुरुषों में मृत्यु दर सबसे अधिक है। पिंडवाडा में अधिकतर सिलिकोसिस पीड़ित युवा हैं और इनको औसतन उम्र 34 साल। कुछ सिलिकोसिस पीड़ित तो मात्र 19 साल के युवा हैं।
इन फैक्ट्रियों के डेथ जोन बनने के बावजूद, वे अनियंत्रित तरीके से लगातार काम करते रहते हैं और श्रमिकों को इस घातक बीमारी की चपेट में लाते रहते हैं। पिंडवाड़ा ब्लॉक में केवल 3% कारखाने ही पंजीकृत हैं। लेकिन यहां पंजीकृत कारखानों में भी धूल स्वतंत्र रूप से चारों ओर उड़ती रहती है। कुछ नियोक्ता कहते हैं कि वे श्रमिकों को मास्क प्रदान करते हैं, लेकिन डॉक्टरों और विशेषज्ञओ ने बार-बार नियोक्ताओं को चेतावनी दी है कि मास्क इतनी धूल को रोक नहीं सकते हैं। फिर भी, नियोक्ता बहाने बनाते हैं और बेकार मास्क वितरित कर अपनी ज्म्मेदारियो से बचते रहते हैं। पथार गढ़ई मजदूर सुरक्षा संगठन की मजबूत पैरवी के माध्यम से अब सिलिकोसिस पोलिसी में यह स्पष्ट किया गया है कि सभी कारखानों, भले ही वह एक व्यक्ति को रोजगार दे, उसे धूल उड़ाने से रोकना होगा।

जारी रहेंगे प्रयास

पत्थर घड़ाई मजदूर सुरक्षा संघ धूल को नियंत्रित करने के लिए उपकरण विकसित करने के लिए दिल्ली के सुरक्षा विशेषज्ञ इंजीनियरों रंजन मेहता और दून रॉय के साथ प्रयोग और अनुसंधान कर रहा है। इनके द्वारा तैयार किये गए उपकरण धूल की निकलते ही नियंत्रित कर लेते हैं और इसे हवा में फैलने से रोकते हैं। यह मास्क की तुलना में श्रमिकों की बहुत अधिक प्रभावी ढंग से सुरक्षा करेगा. क्षेत्र के श्रमिको की सुरक्षा के लिए संघ इस तकनीक को विकसित करने के प्रयासों पर तेजी से काम करेगा. पत्थर घड़ाई मजदूर सुरक्षा संघ इस पोलिसी को प्रभावी तरीके से लागु करने और श्रमिक मुद्दों की पैरवी का काम करना लगातार जारी रखेगा।

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