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हिन्दी विषय पढाने वालों अध्यापकों की सरकार विलम्ब से करती हैं पदोन्नति

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

शिक्षा विभाग की विसंगतियों से हिन्दी शिक्षक व्यथित


शिक्षा विभाग में हिन्दी के अध्यापक हिन्दी पढाने की सजा हिन्दुस्तान के राजस्थान राज्य में भुगत रहे हैं ।राजस्थान में हिन्दी विषयाध्यापकों को बीस वर्ष से अधिक सेवाओं के बाद पदोन्नति नहीं मिलती हैं।

राजस्थान सरकार व शिक्षा विभाग की विसंगतियों से हिन्दी के अध्यापक हिन भावना से ग्रसित हो रहे हैं ।वरिष्ठ कर्मचारी व शिक्षक नेता राव गोपालसिंह पोसालिया ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी , मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत , शिक्षामंत्री गोविन्दसिंह डोटासरा को ज्ञापन भेजकर हिन्दी भाषा पढाने वाले अध्यापकों को न्याय प्रदान करने की मांग की। राव ने बताया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 2008 में विषयवार पदोन्नति देना शुरु किया । लेकिन भयंकर विसंगतियों के कारण हिन्दी , सामाजिक , वाणिज्य वाले अध्यापकों का विशेष नुकसान हुआ ।सत्र 2008 से पहले सभी विषय के अध्यापकों की पदोन्नति की एक ही वरिष्ठता सूची होती थी ।वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति होती थी

 

।भाजपा सरकार ने विषयवार पदोन्नति देने का निर्णय लिया ।विसंगतियों की भरमार पैदा हुई जिसे समय-समय पर दूर नहीं करने से पदोन्नति प्रकिया हिन्दी , सामाजिक ,वाणिज्य विषय वालों के लिये अहितकर व सजा हो गई ।आज विज्ञान , गणित , अंग्रेजी , संस्कृत के अध्यापकों की पदोन्नति सात से पन्द्रह वर्ष तक हो जाती हैं ।हिन्दी , सामाजिक , वाणिज्य के अध्यापक को पहली पदोन्नति 21 वर्ष से 25 वर्ष बाद भी नहीं होती हैं ।सरकार अध्यापक को 9 वर्ष की सेवा के बाद पहला लाभ देती हैं ।वेतन अध्यापक से वरिष्ठ अध्यापक का मिलता हैं ।राजकीय सेवा के 18 वर्ष बाद दूसरा लाभ मिलता हैं ।वेतन व्याख्याता का मिलता हैं ।हिन्दी , सामाजिक , वाणिज्य का अध्यापक एम.ए. , एम. कोम व बी.एड होते हुये भी अध्यापक रखना राज्य सरकार की विफल पदोन्नति नीति को दर्शाता हैं ।सरकार दाम व्याख्याता का देकर काम अध्यापक का लेती हैं । राजकोष ,जनता के पैसे के भुगतान अनुसार योग्यताधारी से काम नहीं लेना विफलता को दर्शाता हैं ।वेतन के अनुसार ओहदा नहीं देकर अध्यापकों को हीन भावना का शिकार किया जा रहा हैं ।पदोन्नति की विसंगतियों से सीनियर जूनियर बन रहे हैं तो जूनियर सीनियर ।हिन्दी , सामाजिक , वाणिज्य का अध्यापक 21 से 25 वर्ष पहले नियुक्त हुआ वह आज भी अध्यापक ही हैं ।गणित ,विज्ञान , अंग्रेजी, संस्कृत के अध्यापक आठ से बारह वर्ष के बाद ही वरिष्ठ अध्यापक बन गये ।यदि गणित , विज्ञान के वरिष्ठ अध्यापक जल्दी व्याख्याता बनना चाहे तो एम.ए. इतिहास , हिन्दी , राजनीति विज्ञान कर बन रहे हैं ।पदोन्नति में विसंगतियों का फायदा उठाने वाले छात्र हित , समाज हित , राष्ट्र हित की बजाय नीजि हित देखकर अपना पढाने का विषय बदलकर लाभ ले रहे हैं ।

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