धार्मिक

भगवान गजानंद हमारी आजादी के निमित्त बने है : संयम लोढा

नव चेतन युवा मंडल द्वारा गणेश महोत्सव कार्यक्रम आयोजित

सिरोही, 3 सितम्बर। शहर के निकटवर्ती सिलदर गांव में नव चेतन युवा मंडल सिलदर द्वारा आयोजित गणपति महोत्सव विसर्जन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक संयम लोढा ने कहां कि भगवान गजानंद हमारी आजादी के निमित्त बने है। गजानंद महोत्सव हमारी आजादी से प्रारम्भ हुआ है। स्वाधीनता संग्राम के अंदर लोगो को एकजुट करने के लिए स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने गणपति महोत्सव भारत में शुरू किया। विधायक संयम लोढा ने कहां कि भगवान गजानंद को सुख-सौभाग्य का देवता माना गया है। गजानन की विधि विधान से पूजा करने से सभी काम बगैर किसी बाधा के पूरे होते हैं।गणपति को सर्वशक्तिमान और बुद्धि का देवता माना जाता है उनकी कृपा से व्यक्ति के साथ शुभ और लाभ दोनों ही जुड़ जाते हैं। भगवान गणेश अपने भक्त के दुरूख एवं तकलीफों को हर कर उसे सुख संपदा, सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करते हैं।

विधायक संयम लोढा ने कहां कि आस्था होना जरूरी है। धर्म में आस्था होने से व्यक्ति के जीवन से जुड़े सभी दोष दूर हो जाते हैं और उसके मन में किसी भी प्रकार का क्रोध, अहंकार और नकारात्मक भावना नहीं रहती है। व्यक्ति को अपनी शक्तियों का सदुपयोग करते हुए जीवन की सही दिशा में आगे बढने का कार्य करना चाहिए। लोढा ने कहां कि धन, श्रम व सभी के सहयोग से यह कार्यक्रम सफल हुआ है।हमारी सभी को एकजुट करने की सोच होनी चाहिए। हमारी सोच ही हमको एकजुट रखती है। बिखराव रहने से हमारी आने वाली पीढी पिछड जाएगी, हम जैसा करते है वैसे हमारे बच्चे सीख लेते है इसलिए हमारे बच्चो का जीवन बेहतर करने के लिए हमे प्रयास करने चाहिए।

कार्यक्रम से पूर्व विधायक संयम लोढा ने गणमान्य लोगो व नागरिकों के साथ भगवान गणपति की आरती की एवं सभी के सुख शांति की प्रार्थना की। लोढा ने सभी ग्रामीणों को गणपति महोत्सव की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर वरिष्ठ सलाहकार भरत राजपुरोहित, वालाराम लोहार आरडी पुरोहित, प्रताप पुरोहित, बसंत पुरोहित, नवचेतन युवा संगठन के अध्यक्ष सुरेश माली, पुष्कर वैष्णव, लक्ष्मण रावल, नवाराम पुरोहित, जीवाराम रबारी, भूराराम पुरोहित, फूलाराम सुथार, रमेश हरिजन, एल के पुरोहित, रणजीत सिंह राजपुरोहित, जोगाराम प्रजापत, दिलीप सुथार, मुकेश सुथार, कोटाराम सुथार, बाबूलाल सुथार, रमेश पुरोहित, अमृत पुरोहित, देवीसिंह पुरोहित, राजेंद्र पुरोहित, अर्जुन पुरोहित, मांगू सिंह देवड़ा, नरपत सिंह देवड़ा, गेलाराम देवासी, मालाराम देवासी मौजूद रहे।

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