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संसार में भगवान राम के आदर्श जैसा कोई दूसरा कोई उदाहरण नहीं : लोढ़ा

सनातन धर्म महिला सेवा समिति व गोपेश्वर महादेव मंदिर सेवा समिति की ओर से शिवगंज से गोपेश्वर महादेव मंदिर तक आयोजित की गई कांवड यात्रा।

सिरोही वाले ब्यूरो ऑफिस
हरीश दवे, सिरोही

शिवगंज। श्री सनातन धर्म महिला सेवा समिति एवं श्री गोपेश्वर महादेव मन्दिर सेवा समिति बडग़ांव के संयुक्त तत्वावधान में रविवार हरियाली तीज के अवसर पर संत अयोध्यादास महाराज के सानिध्य में आठवीं कांवड यात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु महिला एवं पुरूषों ने उत्साह के साथ भाग लिया। इस कावड यात्रा में मुख्यमंत्री के सलाहकार विधायक संयम लोढ़ा ने भी शिरकत कर गोपेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित किया।

धर्मसभा को संबोधित करते हुए विधायक लोढ़ा ने सनातन संस्कृति को विश्व की श्रेष्ठ संस्कृति बताते हुए भगवान श्रीराम तथा भगवान श्रीकृष्ण के कई उदाहरण देकर श्रद्धालुओं को उनके विचारों को ग्रहण करने की अपील की। विधायक ने भगवान श्रीराम को विश्व के सर्वश्रेष्ठ आदर्श पुरूष बताते हुए कहा कि उनके जैसा दूसरा कोई उदाहरण देखने को नहीं मिलता है। श्रीराम के चरित्र का वर्णन करते हुए विधायक ने कहा कि जिस समय राम को वनवास का आदेश हुआ तो उनकी मां कौशल्या बड़ी व्यथित हुई और राम के पास पहुंची। उस समय राम ने उनसे मुस्कराते हुए कहा कि मां मुझे तो पिताजी ने जंगल का राज दिया है। ये उनके अपने पिता के प्रति भाव थे। पिता का जो आदेश उन्हें मिला उसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। इतना ही नहीं वनवास के दौरान जब रावण सीता माता का हरण कर ले गया तब उन्हें वापस लाने के लिए तीन हजार किलोमीटर की पदयात्रा की। रावण से युद्ध लड़ा और सीता माता को वापस लेकर आए।

विधायक ने कहा कि राम ने जो आदर्श की पराकाष्ठा स्थापित की इसी वजह से वे मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाएं। भाई के रूप में भरत का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राम के वनवास पर भरत को राज मिला, लेकिन वे जंगल में जाकर अपने भाई राम की चरण पदुका लेकर आ गए और उन्हें सिंहासन पर रखकर 14 वर्ष तक राजकार्य चलाया। विधायक ने कहा कि पिता, भाई, पति की ये भूमिका सब समाज का आदर्श है। वर्तमान स्थितियों पर कटाक्ष करते हुए विधायक ने कहा कि आज ऐसा नहीं है। आज हमारे यहां के न्यायालयों में जितने भी मामले चल रहे है उसमें से आधे से ज्यादा पारिवारिक और पडौसियों से मतभेद के है। भगवान श्री कृष्ण के चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि उनका जन्म जेल में हुआ। नवजात थे उस समय उफनती हुई यमुना नदी से उनको ले जाया गया। अपना पूरा बचपन जंगलों में पशुओं के बीच निकाला और युवावस्था में जब महाभारत के समय अपनों को युद्ध के मैदान में सामने देख अर्जुन घबरा गया और अपना धनुष नीचे रख दिया उस समय भगवान के मुख से जो वाणी निकली वह गीता में दर्ज हो गई।आज विश्व में गीता ही एकमात्र धार्मिक ग्रंथ है जिसकी जयंति मनाई जाती है। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने सभी से जीओ और जीने दो के संदेश को अपने जीवन में अंगीकार करने की अपील की। इससे पूर्व सभा को महंत अयोध्यादास महाराज सहित अन्य संतों ने भी संबोधित किया।

जैकारों के बीच प्रारंभ हुई कावड यात्रा

सनातन धर्म महिला सेवा समिति और गोपेश्वर महादेव मंदिर सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कावड यात्रा का शुभारंभ सुबह 7 बजे गोपालजी मन्दिर में आरती के बाद जैकारें लगाते हुए हुआ। महंत अयोध्यादास महाराज के सानिध्य में आयोजित इस कांवड यात्रा में शामिल श्रद्धालु विशेषकर महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। रथ, गाजे-बाजे के साथ रवाना हुई पदयात्रा में महिलाएं व पुरुष नाचते-गाते हुए हाथों में कांवड लेकर चलते दिखाई दिए। रास्ते में जगह-जगह नागरिकों ने फूल-मालाओं से यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत किया। पदयात्रा के गोपाल जी मन्दिर से रवाना होने के बाद श्रद्धालुओं ने गजानंद मन्दिर में दर्शन किए। यहां से यात्रा अम्बिका चौक पहुंची, यहां भी रास्ते में खड़े लोगों ने यात्रा का स्वागत किया। कांवड पदयात्रा में शामिल सभी श्रद्धालुओं,भक्तों व महानुभावों के लिए यात्रा के समापन पर गोपेश्वर महादेव मन्दिर परिसर में मन्दिर सेवा समिति की ओर से भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई। पदयात्रा के सफल संचालन में सनातन धर्म महिला सेवा समिति की सदस्य श्रीमती ऊषा अग्रवाल के अलावा श्रीमती दमयंती दिवाकर,श्रीमती हस्तूबेन खंडेलवाल, ललिता शर्मा,दीपिका अग्रवाल,पुष्पा अग्रवाल,लीला चौहान,उर्मिला सोनी, कान्ता माली,फूली पलारिया,कृष्णा कुमावत,जसोदा सुथार,ललिता सुथार,गोपेश्वर महादेव सेवा समिति के सदस्य देवीसिंह भाटी,अमरसिंह राठौड़,हरिभाई सोनी,गोविन्दराम खंडेलवाल, गिरधारी जैन, महेन्द्र सिंह राणावत, नारायण सिंह, लालाराम मीणा,लालाराम देवासी अशोक पुजारी आदि ने सहयोग प्रदान किया। पदयात्रा मार्ग पर यात्रा में शामिल सभी श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से जगह जगह पर नाश्ता, चाय, फल इत्यादि की व्यवस्था की गई थी।

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