सारणेश्वर महादेव मंदिर और कालका मंदिर के उद्धार के सौंपा ज्ञापन
शहर के लोग और ग्रामीण लोगों ने मंदिर के विकास के आगे आए
सिरोही ब्यूरो न्यूज-
सिरोही और आसपास के दर्जनों गांवों के हजारों श्रद्धालुओं के श्री सारणेश्वर महादेव मंदिर और कालका मंदिर के उद्धार के लिए सिरोही के एक मंडल ने देवस्थान बोर्ड को भंग करने की मांग की है। अतिरिक्त जिला कलक्टर को जिला कलक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा गए
दोनों मंदिरों की दुर्दशा और जनसुविधाओं के अभाव के लिए देवस्थान बोर्ड को दोषी बताया।
ज्ञापन में बताया गया कि ये दोनों मंदिर देवस्थान बोर्ड सिरोही के अधीन आते हैं। सारणेश्वर मंदिर में लाखों रुपये दान में आते हैं, लेकिन देवस्थान बोर्ड ने इसमें एक बोरी सीमेंट तक खर्चना मुनासिब नहीं समझा। मंदिर परिसर में बनी धर्मशालाएं जर्जर हैं। मंदाकिनी तालाब कचरा पात्र बन चुका है।यह ऐतिहासिक धरोहर अपनी भव्यता खोता जा रहा है।
मंदिर के पास करोड़ा रुपये के कृषि कुएं हैं। चढ़ावे की काफी राशि आती है। इसके इनके विकास के लिए खर्च नहीं किया जाता है। समाज कंटक इसकी चल अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसे देवस्थान बोर्ड नियंत्रित नहीं कर पा रहा है। देवस्थान बोर्ड की मंदिर के विकास के प्रति बरती जा रही उदासीनता के कारण इसे भंग कर इसका जीर्णोद्धार नहीं किया गया तो जन आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
एडीएम मुकेश चौधरी ने प्रतिनिधि मंडल को सारणेश्वर मंदिर में जर्जर संपत्तियों की सूची बनाने के लिए कहा। जिससे राज्य सरकार के आदेश पर चल रही जांच में उन जगहों को निरीक्षण कर वास्तविकता रिपोर्ट में शामिल किया जा सके।
प्रतिनिधि मंडल में रामलाल रावल, अशोक पंडित, भाजपा जिला मंत्री अशोक पुरोहित, भाजपा सिरोही मंडल के पूर्व अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी, नितिन रावल, भाजपा पार्षद विरेन्द्र एम चौहान, कांग्रेस नगर अध्यक्ष जितेन्द्र ऐरन, कई गणमान्य लोग शामिल थे।
-इससे पहले भी की जा चुकी है देवस्थान बोर्ड भंग करने की मांग
सिरोही का देवस्थान निजी बोर्ड है। इसका राज्य सरकार के देवस्थान बोर्ड से कोई लेना देना नहीं है। फिलहाल इसके अधीन जिलेभर के 51 ऐतिहासिक मंदिर आते हैं। यह मंदिर किसी न किसी समुदाय के इष्ट देव के मंदिर हैं। इसके विकास के लिए कई समाज वालों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार को देवस्थान बोर्ड की कार्यप्रणाली पर रोष जताया है।