आयकर छूट सीमा बढाकर 8 लाख करने एवं वाहन ऋण के ब्याज को आयकर मुक्त करने की मांग - धर्मेंद्र गहलोत
सिरोही | राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेंद्र गहलोत के नेतृत्व में प्रतिनिधि मण्डल ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर गितेश मालवीय के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्त मंत्री सीतारमन के नाम ज्ञापन देकर कर्मचारी की सेवा और जीवन सुरक्षा, कार्यरत स्थल पर पंहुचने की समय बाध्यता को ध्यान में रख कर वाहन ऋण को भी मूलभूत आवश्यकताओं में मानते हुए उसके ब्याज को आयकर सीमा से मुक्त रखने एवं आयकर छूट सीमा 2.5 लाख से बढाकर 8 लाख करने की मांग की।
संघ (प्रगतिशील) के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र गहलोत ने जिला प्रशासन के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्त मंत्री सीतारमन को भेजे ज्ञापन में बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य जाति के लिए ईडब्ल्युएस में 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है। आरक्षण का लाभ उस सामान्य जाति के परिवार को मिलेगा जिसके मुखिया की वार्षिक आय आठ लाख या उससे कम है। लेकिन इसके ठीक विपरीत उसी ईडब्ल्युएस सहित किसी भी जाति के मुखिया की आय 2.5 लाख से ऊपर है तो उसे आयकर देना है। आर्थिक पिछडेपन आधार पर एक तरफ आरक्षण का लाभ देना दूसरा उसी से आयकर भी लेना इन दोनो में विरोधाभास स्पष्ट नजर आ रहा है। इसलिए केन्द्र सरकार को वर्तमान 2.5 लाख की आयकर सीमा को बढ़ाकर न्यूनतम 8 लाख किया जावे जिससे इसके नीचे की आय के आर्थिक पिछडेपन के सभी जातियों के परिवार के मुखिया को आयकर में राहत मिल सके। देश का कोई भी सेवारत कर्मचारी यदि चार पहिया वाहन कार खरीदता है तो वह उसका अधिकतम उपयोग अपने कार्यालय जाने या अन्य राजकीय कार्य में यात्रा पर ही करता है जिससे वह समय पर गन्तव्य स्थान पर पहुंचकर राजकार्य पूर्ण कर सके। केवल अवकाश अवधि में ही वह उस कार का निजी कार्य मे उपयोग कर सकता है। आज की वर्तमान परिस्थितियों में कार्मिक के कार्यालय उसके निवास से अनेक किलोमीटर दूर भी है साथ मे स्कूलों की बात करे तो वे ऐसी रिमोट में है जहाँ साधन की उपलब्धता समय पर सम्भव नही। कर्मचारियों को तो सर्दी गर्मी बारिश हर मौसम में अपने कार्यस्थल सेवा हेतु पहुंचना ही होता है। एक सेवारत किसी भी स्तर के कर्मचारी के लिए कार कोई लग्जीरियस सर्विस नहीं बल्कि सेवानुकूल एसेंशियल व्हीकल माना जा सकता है। कर्मचारी की सेवा और जीवन सुरक्षा, कार्यरत स्थल पर पंहुचने की समय बाध्यता को ध्यान में रख कर गृह ऋण के समान ही वाहन ऋण को भी मूलभूत आवश्यकताओं में मानते हुए उसके ब्याज को आयकर सीमा से मुक्त रखने की मांग की। प्रतिनिधि मण्डल में डॉ.हनवन्तसिंह मेडतिया, जिलाध्यक्ष विक्रमसिंह सोलंकी, जिला मंत्री इनामुल हक कुरैशी, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष जगदीश खण्डेलवाल, भगवत सिंह देवडा जिलाउपाध्यक्ष, उपशाखाध्यक्ष देवेश खत्री, मनोहरसिंह चौहान, सविता शर्मा, ओमजीलाल शर्मा, भंवरसिंह दहिया, गुरूदिन वर्मा, इन्दरमल खण्डेलवाल, धर्मेन्द्रखत्री, भीखाराम कोली, ललितबाबू देववंशी, राजेश कोठारी, जलालुद्दीन, मुनीर हुसैन, सत्यप्रकाशआर्य सहित अनेक शिक्षक नेता उपस्थित हुए।