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1975 आपातकाल के तहत कांग्रेस ने आम जनता के साथ बहुत ज्यादती की - राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत

राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत ने लोकतंत्र के सिपाहियों का किया स्वागत

इमरजेंसी के समय कांग्रेस में मां बेटे का राज था आज भी यही हाल-जिलाध्यक्ष पुरोहित

कांग्रेस सरकार में दिन व दिन अपराध बढ़ रहे है-गहलोत

सिरोही हरीश दवे | राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 25 जून को हमेशा काली तारीख के तौर पर याद किया जाएगा। इसी दिन साल 1975 में कांग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। आज इसके 46 साल पूरे हो गए हैं। देश में 22 महीने तक आपातकाल लागू रहा। पूरा भारत उन सभी महानुभावों को नमन करता है, जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का जमकर विरोध किया। ये हमारे सत्याग्रहियों का तप ही था, जिससे भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों ने एक अधिनायकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक जीत प्राप्त की।’

गहलोत ने कहा कि इस दिन 46 साल पहले सत्ता के लिए एक परिवार के सत्ता लालच ने देश में आपातकाल लागू करवा दिया। रातों रात राष्ट्र को जेल में बदल दिया गया। प्रेस, अदालतें, विधायिका, भारतीय नागरिकों की स्वतंत्रता व अधिकार, सब खत्म हो गए। गरीबों और दलितों पर अत्याचार किए गए। आपालकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने कानून में संशोधन करवा कर यह कह दिया कि इस आपातकाल को कोई भी न्यायालय में चुनौती नहीं दे सकता, साथ ही यह भी यह भी संशाधन करवा दिया गया कि प्रधानमंत्री के मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट को भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती, इन दोंनो कानूनों को मोरारजी देसाई की सरकार में पुनः संशोधन कर इनको हटवाया गया।  

गहलोत ने कहा कि सन् 1973 में देश भर में बिगड़ते हुए आर्थिक हालात, महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हुए। इंदिरा गांधी पर एकाधिकारवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जन आंदोलन शुरू हुआ और उसी के असर को दबाने के लिए 1975 में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे अलोकतांत्रिक काल था।  इस तरह देखा जाए तो इंदिरा गांधी ने अपने विरूद्ध उठ रही आवाजों को दबाने और खतरे में पड़ती कुर्सी को बचाने के लिए देशवासियों को आपातकाल की काली सुरंग में भेज दिया।

प्रदेश में महिलाओं-बच्चियों के प्रति बढ़े रहे अपराधों को लेकर राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है।

गहलोत ने कहा कि प्रदेश में रेप और हत्या के मामले अब बहुत ही बढ़  गए हैं। गहलोत सरकार के ढुलमुल रवैये से अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं। प्रदेश सरकार किस रीति और नीति से चल रही है, इन घटनाओं से यह स्पष्ट है। 

भाजपा जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित ने स्वतंत्र भारत में आपातकाल को प्रेस की आजादी का गला गोंठने वाला कालखंड बताते हुए कहा कि तब प्रेस सेंसरशिप लगा कर चौथे स्तम्भ का ही नहीं लोकतंत्र का भी गला घोंटा गया व निरंकुश शासन के तहत आम नागरिकों तक पर अमानुषिक अत्याचार किये गए थे। आपातकाल की काली यादें देश आज भी नहीं भूला है, जब एक तानाशाह शासक के विरोध में उठी आवाजों को दबाने के लिए सवा लाख से ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं को 22 महीने के लिए जेलों में ठूंस दिया गया था।

प्रेस वार्ता के पश्चात राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत भाजपा जिला संगठन प्रभारी मदन राठौड़ एवं भाजपा जिला अध्यक्ष नारायण पुरोहित ने लोकतंत्र के सिपाही हंसराज पुरोहित एवम भीखम चंद जैन का दुपट्टा पहना कर स्वागत किया।

इस अवसर पर भाजपा जिला महामंत्री योगेंद्र गोयल जय सिंह राव,मीडिया प्रभारी चिराग रावल, कार्यक्रम के आपातकाल कार्यक्रम के जिला संयोजक अशोक पुरोहित आदि उपस्थित थे।

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