खास खबर

एक बार फिर कलम के सच्चे सिपाही को डराने की कोशिश

पत्रकार अशोक के घर के बाहर खड़ी उसकी बाइक को किया आग कर हवाले

बजरी माफियाओं के विरुद्ध खबरें प्रकाशित करने का नतीजा?

या फिर राष्ट्रीय पेड़ वटवृक्ष काटने की खबरों का रिएक्शन?

जो भी हो एक सच्चे पत्रकार को चेतावनी देने के तौर पर जलाई गई बाइक

आज बाइक तो क्या कल पत्रकार पर भी कर सकते हैं हमला?

तो क्या अब गुंडों और माफियाओं के डर से लिखना कर दें बन्द?

सिरोही हरीश दवे | भले ही एक आईपीएस का तबादला करके राज्य सरकार ने ये संदेश देने की कोशिश की हो कि अब सिरोही जिले में अपराधों पर लगाम लगाई जाएगी, पर वास्तविक धरातल पर ऐसी कोई बात नज़र नही आती। अगर वाकई सिरोही जिले में कानून का राज होता तो एक पत्रकार के घर के बाहर खड़ी बाइक को इस प्रकार कोई आग के हवाले नही कर पाता। आखिर घर के दरवाजे पर खड़ी बाइक को कोई चोर उच्चका तो आग के हवाले कर नही सकता। फिर इस बाइक को आग लगाने के पीछे मकसद क्या था? क्या एक सच्चे पत्रकार की कलम को खामोश करने के लिए ये मात्र एक चेतावनी के तौर पर किया गया? क्या एक पत्रकार को अपराध की दुनिया की खबरों को नही करने ये हिदायत नही लगती?

दरअसल शिवगंज शहर के रहने वाले अशोक कुमार माली जो कि एक निजी टीवी चैनल में बतौर पत्रकार पत्रकारिता करते हैं। और पत्रकारिता के दौरान शिवगंज शहर और उसके आसपास बड़े पैमाने पर चल रहे बजरी के अवैध खनन को लेकर अशोककुमार माली ने कई बार खबरें प्रसारित की। कई बार इस अवैध खनन को लेकर पुलिस और प्रशासन को अवगत करवाया। लेकिन पुलिस प्रशासन ने आज दिन तक इस अवैध खनन को रोकने के कोई प्रयास नही किए। इसके पीछे भी कई कारण हो सकते हैं। क्योंकि इसमें रेती तस्करों को राजनीतिक सरंक्षण से लेकर शिवगंज के अनेक मिडिया कर्मियों की मिलीभगत हैं जो अपने आप को पत्रकारिता का मठाधीश समझते हैं। कई वर्षों से ऐसे पत्रकार यहां पत्रकारिता के क्षेत्र अपना रुतबा कायम कर बैठे हैं। और उसी रुतबे की बदौलत वो ऐसे अवैध कार्यो का संरक्षण भी कर रहे हैं।

जिसके चलते मिल बांटकर मलाई चाटने का ये गोरखधंधा यहां लगातार फलता फूलता जा रहा। कलमकार अशोक माली ने जब जब इस काले कारोबार को लेकर खबरें चलाई, इन तथाकथित मीडिया के मठाधीशों ने अशोक को भी इसमें भागीदार बनने का ऑफर दिया। पर अशोक का ईमान चंद सिक्को के आगे कभी नही बिका। और एक के बाद एक खबरें प्रसारित कर शासन प्रशासन को इस पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया। प्रशासन ने भी हर खबर के बाद औपचारिकता निभाते हुए इन मठाधीशों के एक दो ट्रैक्टर ट्रॉली पकड़ कर अपना फर्ज पूरा करने की कोशिश की। यही बात इन मठाधीशों को लगातार चुभती जा रही हैं। क्या अशोक माली की बाइक को आग के हवाले करना इन बजरी माफियाओं सोची समझी साजिश का हिस्सा नही हैं? क्या ये इन माफियाओं की चेतावनी नही लगती जो अशोक माली को दी गई हो कि आगे से इस काले कारोबार की खबरों को किया तो अंजाम वही होगा जो इस बाइक का हुआ हैं?

वही इन बजरी माफियाओं के अलावा दूसरा शक एक और घटना की तरफ भी जाता हैं जो अभी ताज़ा ताज़ा हैं। अभी चंद दिनों पहले शिवगंज शहर में सार्वजनिक सड़क मार्ग पर खड़े एक राष्ट्रीय पेड़ वटवृक्ष के काटने का मामला सामने आया था। जिसको लेकर पत्रकार अशोक माली ने जोर शोर से आवाज़ उठाई थी। जिसके बाद शोसल मीडिया पर काफी हंगामा भी बरपा था। पेड़ काटने वालो की तरफ से एक पोस्ट भी शोसल मीडिया पर प्रसारित की गई थी, जिसमें धमकी भरे लहजे में कहा गया था कि ऐसे लोगो से निपटना आता हैं। तो क्या रात को अशोक की बाइक को जलाने के पीछे इस निपटने वाली पोस्ट करने वालो का हाथ तो नही था?

जो भी हो फिलहाल पत्रकार अशोक माली ने पूरे घटनाक्रम को लेकर शिवगंज थाने में मामला दर्ज करवा दिया हैं। अब देखने वाली बात हैं कि आखिर अपराधियो में भय, आमजन में विश्वास का स्लोगन देने वाली सिरोही पुलिस के हाथ इस घटना को अंजाम देने वालो के गिरेबान कब तक पहुंचते हैं? जिला मुख्यालय समेत रामपुरा, खाम्बल,वड़ेली, पोसालिया,झाडोली,बनास,रोहिड़ा,करोटी इत्यादि सर्वत्र नदी व नालो पे रेती के अवैध उत्खनन से पर्यावरण को गहरा नुकसान कर रेती माफिया राजनीतिक व सरकारी सरक्षण में चांदी कूट रहे है। अब जिले की जनता और मीडिया कर्मियों में नए एसपी के आने के बाद विश्वास जगा है की अब रेती तस्करों के कारनामो पर लगाम कसेगी व कलमकार अशोक माली के साथ हुए घटनाक्रम में इंसाफ मिलेगा।

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