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लाशो का मसीहा, लावारिशो का वारिस समाजसेवी प्रकाश प्रजापति .......साढ़े 8 सालो में 767 एव एक साल कोरोनकाल में 188 शवो को गंतव्य स्थान पर निःशुल्क पहुचाया

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

रिपोर्ट हरीश दवे

सिरोही | कोरोना संक्रमण महामारी से हुए लोकडाऊन में अनेको समाजसेवा लोग  में जुड़े है। कोई समय अथवा तन से तो कोई धन से सहायता कर रहे है जेसी सहायता करने वाली की सुविधा होती है , लेकिन सिरोही निवासी समाजसेवी प्रकाश प्रजापति  हमेशा की तरह लाकड़ाऊंन में भी कर्मवीर की तरह शवो को अपने गंतव्य स्थान पर निशुल्क पहुचाने का समाजसेवा का अपना कर्म कर धर्म निभा रहे है। जो तन मन एवं धन एवं से समय का भोग देकर समाजसेवा सेवा में हमेशा की तरह लगे है |

जिनका सेवा कार्य करना खुद प्रजापति की सुविधा अथवा समय के अनुसार न  होकर ईश्वर के आदेशानुसार लोगो की सुविधा एवं आवश्कतानुसार होता है |

जहा आज लोग आज इस कोरोना संक्रमण काल में जीवित इंसानो के पास भी एक दूसरे के पास जाने कतरा रहे है। वही समाजसेवी प्रकाश प्रजापति मुर्दा शवो को पहले की तरह ही गंतव्य स्थान तक पहुचा रहे है। लाकड़ाऊंन में चाहे वो किसी दुर्घटना से  , प्राकृतिक रूप से या किसी बीमारी से मृत्यु हुई हो , या भले वो कोरोना संदिग्ध हो या कोरोना पोजीटिव ,उसके शव को दिन हो या रात प्रजापति के पास 24 घन्टे में कभी भी काल आने पर तुरंत ही आवश्यक जगह पहुच जाते है तथा हिन्दू, मुस्लिम , सिक्ख हो या ईसाई सभी धर्मों के शवों को मोक्ष वाहिनी एवं मोक्ष रथ से शव को अस्पताल से सिरोही अथवा आस पास गावो में उनके घर तक,  अथवा घर से शमशान घाट तक निशुल्क पहुचा रहे  है, साथ ही लाकड़ाऊंन के कारण आवश्यकतानुसार जरूरतमंद के अंतिम संस्कार में शमशानघाट ले जाकर लाकड़ाऊंन की गाईडलाइन एवं नियमो की पालना करते हुए अंतिम संस्कार करवाकर आ रहे है। एवं साथ ही कोई लावारिश अथवा कोरोना सदिग्ध, कोरोना पॉजिटिव मृतक के परिजनों के नहीं आने पर भी प्रजापति स्वयं मृतक के विधि विधान से अंतिम संस्कार हेतु समस्त साम्रगी जुटाकर मृतक का  विधि विधान कर कन्धा देकर आंशिक  शव यात्रा निकालकर मोक्ष रथ से शमशानघाट ले जाकर स्वय मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार कर रहे है

प्रजापति रक्तदान ,अस्पताल में असहाय जरुरत्मंद एवं बेसहारा  रोगियों की सहायता कर देखभाल करना सहित अनेको समाजसेवी कार्यो से पिछले 20 वर्षों से जुड़े है स्वयं ने भी 22 बार रक्तदान किया है ।

तथा पिछले साढ़े 8 वर्षो में अभी तक साढ़े 7 सौ से ज्यादा ( कुल 767 ) शवो को गंतव्य स्थान तक पहुचाकर ये सेवा कार्य करते आ रहे है, जो कॅरोना महामारी में हुए लाकड़ाऊंन में ये सेवा कार्य अभी तक जारी है।

इस कोरोना संक्रमण काल के जहा लोग अपनो के भी अंतिम संस्कार में जाने डरते है, वही प्रकाश प्रजापति अपने जान की परवाह किये बगैर बेख़ौफ़ परायो एवं लवारिशो की लाशों को उठाकर सम्मानपूर्वक शव यात्रा निकालकर उनका विधि विधान से अंतिम संस्कार कफ रहे है, अभी कोरोना लोकडॉउन के भी अभी तक 188 शवो को गंतव्य स्थान पर पहुचाने के साथ लावारिश शवो का अंतिम संस्कार किया ।

जिसमे इस दूसरी कोरोना लहर के इन पिछले * 10 दिनों में 40 शवो* को शमसान पहुचाकर अंतिम संस्कार करवाया जिसमे शव वाहिनी एवं मोक्ष रथ को बिना ड्राइवर रखे स्वय. ही ड्राइव कर लाशो को निशुल्क गंतव्य स्थान पर पहुचाते आ रहे , जिसमे ईधन का खर्चा भी स्वयं की जेब से वहन करते है

अभी इसी कोरोनकाल में जब लोग अपनो के अंतिम संस्कार में भी नही आते थे तब सुविधा हेतु प्रकाश प्रजापति ने अपने पिता स्वर्गीय हरजीरामजी प्रजापति की स्मृति में शव यात्रा हेतू निशुल्क सेवा की लिए चार पहिया वाहन मोक्ष रथ शहर को समर्पित किया है।  

प्रेरणा: पिछले 20 वर्षों से समाज सेवा से जुड़े होने के कारण, लगभग साढ़े 8 साल पहले सिरोही में फुटपाथ पर रहने वाले किसी भिखारिन की मौत होने पर प्रजापति को समाजसेवी के नाते सूचना मिलने पर वहां पहुचे, उन्होंने इसकी नगर पालिका में इसकी सूचना दी, जिस पर भिखारिन के शव को ले जाने के लिए द कूड़ा- कचरा उठाने वाली खाली ट्रैक्टर ट्रॉली को भेजा गया, जो गंदगी से अटी थी, ये हृदय विदारक दृश्य देख प्रजापति का अंतरमन हिल गया। कि जिस ट्रॉली में कूड़ा ,मल, एवं जानवर का शव ले जाते है उसमें इंसान का शव क्यो..?

उस समय तो उन्होंने कर्मचारियों को कहकर ट्रॉली धुलवाकर एवं साफ करवाकर शव को शमशान भिजवाया एवं स्वयं साथ गए। शव के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को देखा, जिसमे लावारिश मृतक साधारण एक पशु की तरह उठाकर ट्रॉली में डालकर शमशान ले जाकर लकडियो पर रखकर आग लगा दी जाती है।

उस दिन के पूरे दृश्य को देखकर प्रजापति ने मन ही मन में ठान लिया कि आज के बाद सिरोही में कोई भी लावारिश अथवा बेसहारा मृतक को स्वयं वारिश की तरह अंतिम संस्कार की समस्त सामग्री जुटाकर उसके धर्म के अनुसार विधि विधान प्रक्रिया पूर्ण कर कंधा देकर शव यात्रा निकाल स्वयं उसके मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार करेंगे, क्यो की उस लावारिश इंसान को भी दुनिया से उसी तरह सम्मान से जाने का हक है जैसे हर साधारण अथवा सम्पन्न परिवार से मृतक का।

तब से लगाकर आज तक ये सिलसिला जारी है चाहे वो लावारिश लाश कितनी भी पुरानी हो, सड़ी गली हो, दुर्घटना में क्षत विक्षप्त अथवा परिजनों के द्वारा नही आने अथवा ठुकराई गई हो, उस लावारिश लाश का विधि विधान से अंतिम संस्कार करते आ रहे है प्रजापाती ने अपने सम्पूर्ण शरीर के अंगों सहित शरीर का मरणोपरांत देहदान का संकल्प लेकर घोषणा कर रखी है।

अभी तक समस्त सेवा कार्य जारी है

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