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संस्कृति से ही संस्कारों का निमार्ण होता है: कमलमुनि

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

रिपोर्ट हरीश दवे

सिरोही | राष्ट्रसंत कमलमुनि ’’कमलेश’’ ने कहा कि हमारी आध्यात्मिक संस्कृति विश्व में सबसे प्राचीन है जिसका कोई विकल्प नहीं है। संस्कृति की रक्षा धर्म और भगवान की रक्षा करने के समान है व जीवन निर्माण में आक्सीजन महत्वपुर्ण भूमिका है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि ’’ कमलेश ’’ ने पावापुरी जीव मैत्रीधाम में के. पी. संघवी आर्ट गेलेरी के अवलोकन के बाद कहा कि संस्कृति से ही संस्कारो का निर्माण होता है उसी के आधार पर चरित्र का निर्माण होता है उन्होने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति का हमला आतंकवाद से भी खतरनाक है जिसने संस्कारों की होली और चरित्र का पतन किया है। राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि आध्यात्मिक संस्कृति के सहारे ही हिंद देश विश्व गुरू के रूप में विख्यात हुआ है और डब्ल्यूएचओ की कसौटी पर खरा उतर रहा है।

जैन संत ने कहा कि भारतीय संस्कृति के यम, नियम, योग, प्राणायाम, ध्यान शरीर को निरोग व आत्मा की शुद्धि और विश्व शांति के लिए एक माध्यम है। उन्होने कहा कि भोग वाद और विलासिता पूर्ण पाश्चात्य संस्कृति रोग और अशांति की जननी है पूरा विश्व हमारी संस्कृति को अपनाते हुए शांति का अनुभव कर रहा है। दुर्भाग्य है जिसको बहुत लोग थूक रहे है उसको हम चाट रहे है। मुनिराज ने के पी. संघवी आर्ट गेलेरी मे 108 चित्रो की पेन्टिग को अदभुत बताते हुऐ कहा कि ये चित्र युवा पीढी को बहुत बडा सन्देश देती है ।ओर युवाओ को इससे बडी सीख मिलती है ।

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