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राजस्थान विधानसभा सिरोही विधायक संयम लोढा ने पशुपालकों की समस्या को लेकर सरकार को घेरा

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

पशुपालकों से घोषणा पत्र में किये वादे सरकार पूरा करे : विधायक लोढा।

विपक्ष के सवालों में उलझे गहलोत सरकार के काबिना मंत्री

रिपोर्ट हरीश दवे

जयपुर/सिरोही | राज्य विधानसभा में आज एक बार फिर सरकार के मंत्री विपक्ष के सवालों का जवाब देने के दौरान घिरते नज़र आये। विधायक लोढ़ा ने पशुपालकों की पीड़ा पर अपनी ही सरकार को घेरा ओर कहा की राज्य सरकार घोषणा पत्र में पशुपालकों से किये वायदा निभाएं।

सोमवार को विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के जरिए राज्य के पशुपालकों की पीड़ा को प्रमुखता से रखते हुए पशु बीमा सहित पशुपालकों के लिए लागू की गई योजनाएं जो पिछले समय से बंद पड़ी है, उन्हें यथाशीघ्र प्रारंभ करवाने तथा सरकार से अपने घोषणा पत्र में पशुपालकों से किए गए वायदे को निभाने की मांग की।

विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से पशुओं का बीमा नहीं होने तथा अपने पशुओं को अन्य राज्यों में चराने जाने वाले पशुपालकों पर होने वाले हमलों पर विधायक लोढ़ा ने अपनी बात को प्रमुखता से रखा। विधायक लोढ़ा ने कहा कि राज्य में पशुओं के लिए लागू की गई बीमा योजनाएं दम तोड़ चुकी है। भामाशाह पशु बीमा वर्ष २०१८ से बंद पड़ी है। बहाना यह है कि प्रिमियम को लेकर भारत सरकार और राज्य सरकार के बीच बात नहीं बन रही है। विधायक लोढ़ा ने कहा कि पशुपालक का पशु जब मरता है या मरने की स्थिति में पहुंचता है तो वह फोन पर रोने लगता है। खेजडिया गांव का जिक्र करते हुए विधायक ने कहा कि गत दिनों उनके विधानसभा क्षेत्र के खेजडिया गांव के एक देवासी परिवार की ६८ भेडें मर गई। तब उस देवासी परिवार ही नहीं बल्कि पूरे समाज में शोक सा माहौल हो गया जैसे घर का कोई सदस्य मर गया हो। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उसे इस बात की चिंता है कि उसकी जो ६८ भेडें मरी है उसके बदले पशुपालन विभाग उस परिवार को पांच पैसे भी नहीं दिला पाएगा।

विधायक ने कहा कि राज्य में पशुपालकों के लिए चलाई जाने वाली उष्ण विकास योजना, अविका कवच योजना, अविका पाल जीवन रक्षक योजना, जनश्री योजना, अविरक्षक योजना पिछले काफी समय से बंद पड़ी है।

घोषणा पत्र का वायदा निभाएं सरकार

विधायक लोढ़ा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जन घोषणा पत्र में वायदा किया था कि हम लघु एवं सीमांत काश्तकारों का मुफ्त बीमा करेंगे। आज राजस्थान के लाखों पशुपालक चिंता में है। सरकार को उस पशुपालक व काश्तकार की चिंता पर ध्यान देकर इन योजनाओं को पुन: प्रारंभ करना चाहिए। विधायक लोढ़ा ने कहा कि वर्ष १९९२ में राज्य में ७ लाख ४६ हजार ऊंट हुआ करते थे, जो आज ८४ हजार ही रह गए है। विधायक लोढ़ा ने कहा कि यह सब हमारी गलत नीतियों का नतीजा है कि पशुपालकों को हम यह भरोसा नहीं दिला पा रहे है कि पशुपालन मुनाफे का धंधा है। यह अपने परिवार को आगे बढ़ाने का माध्यम हो सकता है तथा अपने बच्चों के भविष्य को बेहतर बना सकते है।

पशुपालकों पर होने वाले हमलों पर जताई चिंता

विधायक ने विधानसभा में कहा कि राज्य के हजारों की संख्या में पशुपालक अपने पशुओं को चराने के लिए पड़ौस के राज्यों की तरफ पलायन करते है। वहां आए दिन उन पर हमला, अपहरण, डकैती हो रही है। वहां उन्हें किसी प्रकार की सुरक्षा नहीं मिल रही है। उन्होंने जबरा में फूलाराम देवासी के एवड पर हमला होने के अलावा एमपी के सेवलिया मगरा, बांदा एवं हरियाणा के फरीदाबाद व शिवपुर में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह राज्य के पशुपालकों को उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाए।

पशुपालन मंत्री ने दिलाया भरोसा

स्थगन प्रस्ताव के जरिए विधायक की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि यह सही है कि वर्ष २०१६ में प्रारंभ की गई पशु बीमा योजना वर्ष २०१८ से बंद है। इसमें प्रिमियम की दरों की सीमा को बढाने को लेकर दिक्कतें आ रही है। इसके लिए भारत सरकार को पत्र पे्रषित किया गया है। जिस पर केन्द्र सरकार ने अवगत करवाया है कि ईएफसी के अनुमोदन के पश्चात केबिनेट अनुमोदन एवं नवीन मार्गदर्शिका अनुमोदन अपेक्षित है इसके पश्चात कार्य प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ कर दी जाएगी। पशुपालकों पर हो रहे हमलों के जवाब में पशुपालन मंत्री ने कहा कि इस मामले में संबंधित राज्यों से संपर्क कर पशुपालकों को राहत दिलवाने की कार्रवाई की जाएगी। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष की ओर से पूछे गए अलग-अलग सवालों पर गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया और महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। गौरतलब है कि इससे पहले भी सदन की कार्यवाही के दौरान सरकार के मंत्री विपक्ष को जवाब देने के दौरान फंसते दिखाई दिए हैं।

दरअसल भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने प्रदेश में नन्दीशालाओं की स्थापना के लिए आवंटित बजट के सिलसिले में एक सवाल पूछा था। भाजपा विधायक ने जानना चाहा कि विगत दो वर्ष के कार्यकाल में गहलोत सरकार ने प्रदेश में कितनी नंदीशालाएं खोली हैं, इसमें वर्त्तमान में कितने पशु हैं और इस मद में कितना बजट रखा गया है?

इसके जवाब में मंत्री भाया ने कहा कि नंदिशालाओं की घोषणा पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने की थी। लेकिन इस योजना में कई तरह की कमियां और खामियां थीं, जिन्हें दुरुस्त करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पंचायत स्तर पर मॉडल तैयार किया है, जिसे आगामी एक माह में शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा है। इन्हीं वजहों से नंदीशालाएं स्थापित करने में समय लग रहा है।

इधर मंत्री के जवाब से विपक्ष सतुष्ट नज़र नहीं आया। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने भी हस्तक्षेप करते हुए मंत्री को घेरा।

वहीं भाया की तरह मंत्री ममता भूपेश भी एक सवाल के जवाब में ‘बैकफुट’ पर दिखाई दीं। इंदिरा गांधी महिला शोध संस्थान की स्थापना को लेकर उपनेता प्रतिपक्ष व विधायक राजेन्द्र राठौड़ के सवाल पर मंत्री उलझ गईं। राठौड़ के इन संस्थानों पर बजट प्रावधान पर पूछे सवाल पर जानकारी देते हुए मंत्री ने बताया कि अब तक 20 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। वहीं पिछले साल की 22 दिसंबर को हुए एक एमओयू के अनुसार एचसीएम रीपा संस्थान को भी बजटीय प्रावधान में शामिल करने का मंत्री ने ज़िक्र किया।

लेकिन मंत्री ममता भूपेश के जवाब से प्रश्नकर्ता राठौड़ संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने कहा कि मंत्री ने उनके मूल प्रश्न का सही से उत्तर नहीं दिया है।

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