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राहुल गांधी नही दूर कर पाए गहलोत-पायलट विवाद, राहुल दौरे में खुल कर सामने आई अंतर्कलह

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

सिरोही जिले में कोंग्रेस व भाजपा में बदलाव को लेकर सरगर्मियां तेज,कोंग्रेस व भाजपा दोनो के अग्रिम संगठन में हो रही नियुक्तियां।

महिला कोंग्रेस जिलाध्यक्ष हेमलता शर्मा मनोनीत

रिपोर्ट हरीश दवे

जयपुर/सिरोही | प्रदेश में भाजपा व कोंग्रेस दोनो संगठन गुटबाजी व अंतर्कलह के शिकार है जहा कोंग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजस्थान की कोंग्रेस सरकार के अंतर्कलह में सीएम गहलोत व पूर्व सीएम पायलट व कोंग्रेस संगठन की नब्ज टटोलने के साथ केंद्र सरकार के किसान बिल के संमर्थन में दो दिन के प्रदेश दौरे पर आए ओर चार जगह जन सभाएं की जो अपेक्षा कृत फीकी रही जिसमे दो सभाओ में अवश्य पायलट को राहुल गांधी व सीएम गहलोत के साथ मंच पे स्थान मिला पर दो सभाओ में सचिन पायलट को जनता को संबोधित करने का मौका नही मिला और सचिन समर्थको ने प्रदर्शन भी किया और अगले चुनावो में देख लेने की चेतावनी दी तो सीएम गहलोत अपनी चारो जन सभाओ में पूर्व रास्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष प्रदेश की कोंग्रेस सरकार को गिराने की कहानी दोहराते दिखे जिसे देख लगता है कि भले कोंग्रेस हाईकमान में राजस्थान में गहलोत पायलट विवाद में अस्थिर हुई सरकार भले बच गई हो लेकिन दोनों नेताओं के मध्य आई दूरियां कम नही हुई इसी का परिणाम है कि केंद्रीय प्रभारियों की रिपोर्ट के बावजूद प्रदेश में मन्त्री मण्डल का विस्तार नही हुआ।

अनुभवी गहलोत किसी भी तरह सचिन का कद राजस्थान में बढ़ने नही देना चाहते ओर कोंग्रेस को पुनः सत्ता में लाने वाले युवा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट भी अपनी राजनीतिक हठ नही छोड़ना चाहते ओर इस वर्चस्व की लड़ाई में कोंग्रेस पार्टी पीस के रह गई है।जिसका रास्ता कोंग्रेस हाईकमान को निकालना टेढ़ी खीर बन गया है।कोंग्रेस के दिल्ली दरबार मे अहमद पटेल,अशोक गहलोत,राजेश पायलट की तूती बोलती थी जिसमे राजेश पायलट व अहमद पटेल के परलोक वासी होने के बाद राजेश पायलट की विरासत व गृर्जरो के एकछत्र नेता सचिन पायलट के बगावती तेवर अब तक ढीले नही हुए और वो किसानों के लिये किसान बिल के खिलाफ आंदोलनों में रैलियां व सभा कर अपना राजनीतिक कौशल बता अपनी अहमियत बता रहे हैं।

और कोंग्रेस हाईकमान इन दोनों को नजरअंदाज नही कर सकता और प्रदेश कोंग्रेस की सत्ता व संगठन के हालातों को जान राहुल गांधी रास्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ विधानसभा सत्र के बाद नया फार्मूला निकाल सकते है जिसमे अनुभवी गहलोत या युवा पायलट एक को केंद्रीय कोंग्रेस में जाना तय है। उधर भाजपा संगठन के भी हालात ठीक नही है पूर्व सीएम राजस्थान वसुंधरा राजे पूरे दमखम के साथ प्रदेश के अनेक जिलों में अपने दमखम के साथ जन सम्पर्क रेलिया व सोसल मीडिया में टीम वसुंधरा भाजपा पर हल्ला बोल रही है। प्रदेश की राजनीति में राजनीतिक दलों की सियासत में सिरोही जिला भी अछूता नही है। सिरोही जिले के भाजपा व कोंग्रेस संगठन बरसो से भितरघात, आपसी कलह में अनेक इतिहास रच चुके है।

फील हाल भाजपा व कोंग्रेस दोनो संगठनों को मजबूत करने का प्रयास प्रदेश स्तर से हो रहा है।कोंग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश कार्यकारिणी गठन के बाद अब कोंग्रेस जिला संगठनों व अग्रिम संगठनों में बदलाव की रूपरेखा तय कर चुके हैं जिसमे सिरोही के निर्दलीय विधायक संयम लोढा जिन्होंने गत विधान सभा चुनाव में कोंग्रेस जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य की जमानत जब्त करवा निर्दलीय चुनाव जीता था और अब कोंग्रेस के एसोसिएट मेंबर रहते गत महीनों प्रदेश कोंग्रेस सरकार की अस्थिरता व गहलोत पायलट विवाद में जम कर कोंग्रेस सरकार को बचाने व सीएम अशोक गहलोत व प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के लिए संगठन व सत्ता में ढाल बन निकटता व नजदीकियां बढ़ाई इसी का परिणाम है कि कोंग्रेस की प्रदेश कमिटी में प्रतिनिधि निम्बाराम गरासिया,युवक कोंग्रेस अध्यक्ष,राजेन्द्र सिंह जाखोड़ा, व अब कोंग्रेस महिला जिलाध्यक्ष पद पर छठवीं बार श्रीमती हेमलता शर्मा व सोसल मीडिया को कॉर्डिनेटर व अन्य संगठन के पदों पर संयम संमर्थक मनोनीत हुए ओर दिग्गज कोंग्रेसी हाशिये पे आये सिरोही जिले में आम चर्चा है कि संयम है तो सिरोही में कोंग्रेस है और संयम फोबिया में भाजपा भी विपक्ष के रूप में पस्त है।

अब कोंग्रेस के जिलाध्यक्ष पद की दावेदारी में संयम संमर्थक व विरोधी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है जिसमे कोंग्रेस जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य,जिला उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह पालड़ी,हरीश परिहार, पूर्व जिला प्रमुख अनाराम बोराणा,पूर्व प्रधान नीतिराज सिंह,किशोर पुरोहित दर्जनों की दावेदार प्रमुख है पर यह तय है कि कोंग्रेस जिलाध्यक्ष विधायक संयम लोढा की मर्जी का होगा। उधर सिरोही जिले को मजबूत करने में प्रदेश भाजपा ने विशेष फोकस रखा है भाजपा जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित प्रदेश प्रतिनिधियों में एडवोकेट वीरेंद्र सिंह चौहान,विधायक समाराम,लुम्बाराम चौधरी,ओटाराम देवासी,व कोषाध्यक्ष सतीश बंसल के मनोनयन के बाद भाजपा के सभी मोर्चा व प्रकोष्ठों को सक्रिय करने व योग्य कार्यकर्ता को जिलाध्यक्ष बनाने की रणनीति में लगे हुए है।भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष डा रक्षा भण्डारी व पूर्व चेयरमैन सुरेश सिंदल भाजपा महिला मोर्चा व भाजपा एससी मोर्चा में मनोनीत हो चुके है जिले के अन्य कार्यकर्ता को प्रदेश में स्थान नही मिला।और अब भाजयुमो ,किसान मोर्चा,महिला मोर्चा व ओबीसी मोर्चा जिलाध्यक्ष के अलावा समस्त मोर्चा प्रकोष्ठ व मीडिया आईटीसेल व सोसल मीडिया के लिए माथा पच्ची चल रही है।

जिसमे युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष की दावेदारी में दीपेन्द्रसिंह पिथपूरा,अजय वाला,कुलदीप छापोला,योगेश दवे,कानाराम चौधरी दावेदारी जता रहे है तो महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष में दुर्गेश शर्मा आबूरोड के नाम पे सहमति बन सकती है तथा भाजपा किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष के लिए मांगु सिंह देवड़ा प्रबल दावेदारी दिखा रहे है।जिले की राजनीति में भाजपा अब तक किसी भी विषय को लेकर विपक्ष के रूप में मुखर नही हुई है तथा जावाल ग्राम पंचायत के नगर पालिका में तब्दील होने की विजय से अदालती स्टे में सिरोही जिले में पंचायती राज के चुनाव नही हुए पर दोनो ही दलों के जिला प्रमुख व प्रधान के दावेदारों की लॉबिंग भी शुरू हो गई है।जहां भाजपा पुनः राम रथ पे सवार राम मंदिर निर्माण में निधि संग्रह का अभियान चला रही है वही विधायक लोढा अपने करवाये कामो को लेकर जनता के बीच जा रहे है।और गत दिनों सिरोही विधानसभा क्षेत्र की शिवगंज तहसील में अरठवाड़ा में एक दलित युवक की नृशंश हत्या व वेरा विलपुर में महंत की हत्या के बाद राजनीति गर्मा गई है और पूर्व गोपालनराजय मंत्री भी लम्बे आराम के बाद जिले व भाजपा की राजनीति में सांसद के साथ मोर्चा प्रकोष्ठों में नियुक्तियों के लिए जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित के साथ कदमताल मिलाना चाहते है।

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