क्या भाजपा जिला परिषद में रखेगी जिला प्रमुख बरकरार या कोंग्रेस के एक छत्र नेता विधायक संयम लोढा रचेंगे इतिहास
सिरोही ब्यूरो न्यूज़
पांचो पंचायत समिति प्रधान बनाने में भाजपा व लोढा की अंदरूनी राजनीति तेज।जिले के कद्दावर नेताओ की राजनीति पंचायती चुनावो के परिणामो पे निर्भर
रिपोर्ट हरीश दवे
सिरोही प्रदेश की राजनीति में सत्तारूढ़ कोंग्रेस ओर विपक्षी भाजपा दोनो ही दल गुट बाजी के चरम शिखर पर पहुच गए है।जहां कोंग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की नई प्रदेश कार्यकारिणी में जातीय समीकरणों के साथ गहरा असन्तोष झलक रहा है। वही प्रदेश भाजपा में पुर्व सीएम वसुंधरा राजे समर्थको ने भी ताल ठोक कर भाजपा के पेरेलल अनेक जिलों में संगठन खड़ा कर भाजपा संगठन को करारी चुनोती दी है जिसका परिणाम आने वाले स्वायत शाशि संस्थाओ के चुनावों में निर्दलीय बागी प्रत्याशियों के रूप में दिखेगा ओर दोनो ही पार्टियां अपने ही दल के विरोधी नेताओ को पटखनी देने में गुल खिलाएगी।
इन सबसे परे सिरोही जिले के राजनीतिक दलों के हालात भी किसी से छुपे नही है। और दोनों ही प्रमुख दलो के प्रभावशाली नेता आगामी पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में टिकट पाने,चुनाव लड़ने में अपनी गोटिया आरक्षित ओर जनरल सीट पे आजमाने में राजनीतिक जमीन तलाश कर रहे है और इन्ही पंचायती राज चुनावो के परिणामो पे भाजपा और कोंग्रेस के जिले के कद्दावर नेताओ का भविष्य टिका हुआ है। जहाँ भाजपा में जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित अपनी क्षमता के अनुरूप संगठन को चला रहे है और उन्हें विरासत में मिले कागजी मोर्चा व प्रकोष्ठ अखबार की सुर्खियों तक सलामत है और आगामी समय मे मोर्चा प्रकोष्ठों में बदलाव तय है।
भाजपा की खेमे बाजी में जिलाध्यक्ष पुरोहित,पूर्व जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी,पूर्व गोपालन राज्य मंत्री ओटाराम देवासी,विधायक समाराम गरासिया व जगसीराम कोली के बीच मे बटी हुई है जिसमे सांसद देवजी पटेल व जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित का गुट प्रदेश संगठन में प्रभावी है और गत महीनों आबूरोड नगर पालिका के चुनाव में भाजपा जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित ने कोन्ग्रेसी फुट व लोकल भाजपा आबूरोड की एक जुटता के फायदे से भाजपा का बोर्ड बनाने में सफलता अर्जित कर प्रदेश में अपनी साख बढ़ाई है।लेकिन उनके सामने अब सबसे बड़ी चुनोती आगामी पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों में पहली बार गत चुनावो में अर्जित जिला परिषद में भाजपा को जीता जिला प्रमुख बनाने के साथ आबूरोड व शिवगंज की पंचायत समिति जो कोंग्रेस प्रभाव में थी उन्हें जीत कर सिरोही,पिंडवाड़ा व रेवदर पंचायत समिति में भी भाजपा का परचम बरकरार रखने का है।इस बार जिला प्रमुख की सीट जनरल पुरुष कोटे से है व सिरोही,आबूरोड अनुसूचित जाति आरक्षित,पिंडवाड़ा जनरल पुरुष,शिवगंज जनरल महिला व रेवदर ओबीसी महिला के लिए प्रधान सीट आरक्षित है।
जिसके लिए भाजपा में लामबन्दी शुरू हो चुकी है और भाजपा के पूर्व गोपालन राज्य मन्त्री ओटाराम देवासी,पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती पायल परसरामपुरिया, अरुण परसरामपुरिया, अर्जुन पुरोहित,लुम्बाराम चौधरी,सूरजपाल सिंह अरठवाड़ा,भवानी सिंह डोडुआ,गनपत सिंह राठौड़ कालन्द्री,नरपत सिंह राणावत की लंबी फेहरिस्त है।और अधिकांश दावेदार पिंडवाड़ा की 6 व रेवदर सिरोही की एक एक सामान्य आरक्षित डेलीगेट सीट पे भाग्य आजमाने की मशःक्क्तत कर रहे है।लेकिन बिखरी भाजपा के मोर्चा प्रकोष्ठ भी ताकतवर स्तिथि में नही है अब भाजपा में मोर्चा, प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष पंचायती राज चुनावो से पहले बनते है या बाद में पर किसान मोर्चा भी मोदी सरकार के किसान बिल व किसानों की योजनाओं के साथ ग्रामीण हलको में नही पहुचा न अन्य मोर्चा प्रकोष्ठ मौजूदा कोंग्रेस सरकार को किसी भी मोर्चे पे घेर सके।उधर निर्दलीय एसोसिएटेड कोंग्रेसी विधायक संयम लोढा ही जिले में कद्दावर कोन्ग्रेसी नेता के रूप में उभरे है और पूरे जिले में उनके दौरे सतत चल रहे है और डीएमएफटी योजना में बजट पारित करवाने तथा कोविड काल मे उनकी उपलब्धियों के ढिंढोरों के साथ उनके समर्थकों ने जिले के पोस्टर युद्ध व सोसल मीडिया में धूम मचा दी है।कोंग्रेस के प्रदेश संगठन की कार्यकारिणी में सिरोही जिले से निम्बाराम गरासिया को प्रदेश प्रतिनिधि के रूप में चयन भी संयम कीमियागिरी है जिसमे कोंग्रेस के पुराने दिग्गजों को कोई जगह नही मिली।
गत विधानसभा चुनावों में अपनी जमानत जब्त करवा चुके कोंग्रेस जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य जो शिवगंज पंचायत समिति के निवर्तमान प्रधान भी अपनी उपस्थिति अवश्य दर्ज मीडिया,सोसल मीडिया में संगठन के कार्यो व प्रदेश दौरों की अवश्य करवाते है पर मजबूत संगठन उनके साथ नही है व कोंग्रेसी फुटौव्वल से पार्टी ग्रसित है।राज्य सभा सांसद नीरज डांगी, व मुख्य सचेतक रतन देवासी सतही तौर पे अब संयम विरोध भविष्य की राजनीति के मद्देनजर छोड़ चुके है व कोंग्रेस की पूर्व जिलाध्यक्ष गंगा गरासिया व कोंग्रेस के अनेक दिग्गज विधायक संयम लोढा के महत्व को नजरअंदाज नही कर रहे जिनका मानना है कि अगर पंचायती राज चुनावो में कोंग्रेस को पंचायती राज जिला प्रमुख ओर पांचो पंचायत समिति में जिताना है तो विद्यायक संयम लोढा को उसी तरह फ्री हेंड देना होगा जैसे सिरोही नगर परिषद व शिवगंज नगरपालिका में दिया था।कोन्ग्रेस में जिला प्रमुख के दावेदार जनरल सीट पे स्वयं जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य,पूर्व जिला प्रमुख चन्दन सिंह,अनाराम बोराणा,राजेन्द्र सांखला,घोर संयम विरोधी पुखराज गहलोत इत्यादि दर्जनों की लंबी फेहरिस्त है और ये सभी एड़ी चोटी का जोर जिला प्रमुख बनने के लिए लगा रहे है।
पूर्व प्रभारी मंत्री भवर सिंह भाटी के स्थान पर गोपालनमंत्री प्रमोद जैन भाया के जिले के प्रभारी मंत्री बनने प्रदेश प्रतिनिधि निम्बाराम गरासिया के बनने सीएम गहलोत ओर प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा के साथ विधायक लोढा की करीबी ओर संगठनात्मक कुशलता यही दर्शाती है कि अगर प्रदेश कोंग्रेस संगठन को जिले में कोंग्रेस का पंचायती राज संस्थानों में परचम लहराना है तो विधायक लोढा को पंचायती राज चुनावो की कमान सौपनी होगी।और अगर कोंग्रेस की फुट बरकरार रही तो भाजपा के लिए राह आबूरोड चुनावो की तरह आसान होगी।हालांकि विधायक संयम लोढा ने सिरोही एससी व शिवगंज महिला आरक्षित सीटों पे प्रधान बनाने में अपनी टीम को तैयार कर रखा है।आबू पिंडवाड़ा ओर रेवदर में प्रदेश प्रतिनिधि निम्बाराम गरासिया की सक्रियता बढ़ चुकी है।
कोंग्रेस के कद्दावर नेता विधायक लोढा से मेलजोल बढ़ा रहे है और विधायक लोढा स्वयं पूरे जिले में कोंग्रेस ओर भाजपा की फुट पे नजर गड़ा अपनी सेंधमारी में उम्मीदवारों को चयनित भी कर रहे है और प्रथम चरण की संगठनात्म बैठकें भी ले चुके है।मुख्य सचेतक रतन देवासी भी मान चुके है।
कि अगर उनके अगले सांसद चुनाव में विजय हासिल करनी हो तो विधायक लोढा के साथ अपना आधार जिले में बढ़ाना होगा और राज्य सभा सांसद नीरज डांगी पे चुनोती रहेगी आबूरोड व रेवदर में कोंग्रेस का प्रधान बनाने के साथ जिला प्रमुख कोंग्रेस का बनाना।ऐसे हालात में भाजपा व कोंग्रेस दोनो जिलाध्यक्षों के लिए पंचायतीराज की बाजी जीतना जीवन मरण का प्रश्न बन गया है और तीनों विधायको को भी अपनी अपनी विधानसभा सीटो में प्रधान बनाने का दवाब रहेगा और सांसद देवजी पटेल पे भी जालोर जिला प्रमुख के बाद सिरोही जिला प्रमुख बनाने का जिम्मा आ गया है।पर भितरघात,गुट बाजी,ओर उठापठक की राजनीति में कोंन बनता है राजनीतिक बाजीगर भाजपा कोंग्रेस का यह वक्त की बिसात पे निर्भर है।