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महासंघ 26 नवंबर की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन करने का आव्हान करता है-गहलोत

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

रिपोर्ट हरिश दवे

सिरोही - अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र गहलोत ने देशभर में 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल को पूर्ण समर्थन देकर जागरूक पीड़ित एवं शोषित वर्ग को आव्हान किया है कि इसे पूर्ण समर्थन देकर सफल बनावे।

महासंघ के जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र गहलोत ने बताया कि NPS, निजीकरण, सेवा सुरक्षा, समयपूर्व सेवानिवृत्ति परिपत्र, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, खाली पद व अतिरिक्त कार्यभार, वेतन कटौती जैसे मुद्दे आज कर्मचारियों के लिए अस्तित्व के मुद्दे बन गए हैं तो किसानो और मजदूरों के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में थोपे गए कानून उन के अस्तित्व पर संकट बनकर मंडरा रहे हैं। केंद्र सरकार की जन विरोधी और विनाशकारी नीतियों से आमंत्रित आर्थिक मंदी व कोरोना महामारी के कहर से बिलबिला रहे करोड़ों नागरिकों के समक्ष जीवन यापन यक्ष प्रश्न बन गया है और जीवन संकट में है।

शिक्षकों, कर्मचारियों, मजदूरों तथा किसानों के इन गंभीर मसलों और इस दुर्दशा के पीछे सरकार की नीतियां हैं। इन तबाहकारी नीतियों का दुष्प्रभाव छोटे व्यापारियों तथा दुकानदारों पर भी पड़ रहा है। इस प्रकार प्राय: संपूर्ण जनता सरकार की नीतियों से त्राहिमाम है। यद्यपि अपने-अपने मसलों और मांगों को लेकर हर वर्ग तथा संवर्ग आवाज उठा रहा है परंतु अलग-अलग उठने वाली आवाजों को कॉरपोरेट्स के पक्ष में दृढ़ता से खड़ी केंद्र सरकार अनसुना कर रही है। सरकार यह मानकर चल रही है कि अलग-अलग भागों में बंटी मेहनतकश जनता एक साथ एकजुटता से मैदान में नही उतरेगी। ऐसे में मेहनतकश वर्ग के लिए आवश्यक है कि वह अपने साझा मुद्दों को लेकर एकसाथ एकजुटता से संघर्ष के मैदान में आए। आम मेहनतकश यह महसूस भी करता है कि पूर्ण एकजुटता से साझा संघर्ष हो परंतु यह तभी संभव है जब राष्ट्रीय स्तर पर किसी साझा मंच अथवा साझा समझदारी से इसका आह्वान हो। हालात को देखते हुए देश की राष्ट्रीय ट्रेडयूनियनों तथा कर्मचारियों के राष्ट्रीय महासंघों ने विभिन्न वर्गों व संवर्गों की ज्वलंत मांगों को लेकर 26 नवंबर, 2020 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। यह देश के शिक्षकों तथा कर्मचारियों सहित देश के समस्त कामगारों और शोषित - पीड़ित जनता के लिए अपनी एकजुटता प्रकट करने और मजबूती से आवाज बुलंद करने का कारगर अवसर है। यहां यह रेखांकित करना भी उचित होगा कि देश के किसान संगठन भी सरकार की इन नीतियों के खिलाफ 26 - 27 नवंबर को देश भर में विरोध कार्रवाईयों का आयोजन कर रहे हैं।

महासंघ के जिला अध्यक्ष गहलोत ने बताया कि देश भर में 26 नवंबर की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जोरदार तैयारियां चल रही है। राजस्थान में भी ट्रेड यूनियनस् गंभीरता से तैयारी में लगी हुई है और किसानों के संगठन भी तैयारी कर रहे हैं प कर्मचारी संगठन अभी भी सुस्त हैं।अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ की राज्य के समस्त कर्मचारी संगठनों से पुरजोर अपील है कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए और 26 नवंबर की हड़ताल की महत्ता को देखते हुए हड़ताल के इस आह्वान को गंभीरता से लें और इस हड़ताल को सफल बनाया जाए। महासंघ राज्य के शिक्षकों एवं कर्मचारियों से 26 नवंबर की हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान करता है।

महासंघ के जिला अध्यक्ष गहलोत ने बताया कि निम्नांकित 11 सूत्री मांग पत्र के अनुसार सरकारी विभागों तथा उपक्रमों के किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाई जाए और जन सेवा के विभागों का विस्तार कर जनता को बेहतर जन सेवाएं प्रदान की जाए।निजीकरण को बढ़ावा देने शिक्षा बिल वापिस लिया जावे, NPS रद्द कर पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए, ठेका प्रथा समाप्त कर ठेका/संविदा कर्मचारियों को विभागों में नियमित वेतनमान में समायोजित किया जाए और समस्त अस्थाई कार्मिकों को स्थाई किया जाए, स्थाई होने तक समान काम - समान वेतन तथा सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए, कोविड 19 की आड़ में तानाशाहीपूर्ण ढंग से महंगाई भत्ते पर लगाई रोक को हटाया जाए। स्थगित वेतन का भुगतान किया जाए और वेतन कटौती बंद की जाए, सरकारी विभागों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारियों को समय पूर्व सेवानिवृत्ति करने का परिपत्र वापस लिया जाए, किसान विरोधी तथा मजदूर विरोधी बनाए गए कानूनों को वापस लिया जाए, समस्त विभागों में कार्यभार के अनुसार नए पदों का सृजन किया जाए और खाली पदों को स्थाई नियुक्ति से भरा जाए। आरक्षित श्रेणियों के बैकलॉग को विशेष भर्ती कर भरा जाए, गैर आयकर दाता समस्त परिवारों को प्रतिमाह ₹ 7500/- नकद हस्तांतरण किया जाए और सभी जरूरतमंदों को प्रतिमाह 10 किलो मुफ्त राशन दिया जाए,द राज्य के कर्मचारियों को केंद्र के समान वेतनमान दिया जाए। वर्ष 2013 के उच्चीकृत पे ग्रेड के आदेशों को 30 अक्टूबर 2017 द्वारा वापस ले लिया गया तथा प्रारंभिक वेतन प्रत्येक पे ग्रेड में कम कर दिया गया, उसे पुनः बहाल करते हुए सातवें वेतनमान में वेतन स्थिरीकरण किया जावे, राज्य कर्मचारियों को 7, 14, 21 व 28 वर्ष पर चयनित वेतनमान दिया जावे, महासंघ के साथ साथ महासंघ के घटक संघ के मांग पत्रो पर अविलंब वार्ता आयोजित की जा कर उनका हल किया जावे।

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