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राजीव नगर आवासीय योजना के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया अंतरिम स्टे

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

महावीर जैन, विशेष संवादाता

सिरोही की राजीव नगर आवासीय योजना के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट जोधपुर की ओर से रिट संख्या 1103/2017 व 201/019 दिनांक 19 अगस्त 19 को दिए गए आदेश के किर्यान्वयन पर रोक लगा दी है ।

13 जुलाई 20 को पारित आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने तेजाराम जी गोयल के उत्तराधिकारियों को सुने बिना यह आदेश जारी करते हुए नगर परिषद सिरोही की इस बात को भी मान लिया है की वो इस मामले में सत्यापित कॉपी व ट्रांसलेट कॉपी बाद में प्रसतुत कर देवे ।

पिछले 30 वर्षों से इस कॉलोनी में गरीब, कमजोर व अल्प आय व वेतनभोगी जनता को आवासीय भूखंड परिषद आवंटित नही कर पा रही है क्योंकि पैसे लेकर जमीन खरीदने के बाद भी भूमि बेचने वालों के वारिशदार अनेक कोर्ट में इसको चुनोती देते जा रहे है और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया है ।

विधायक संयम लोढा ने कांग्रेस का बोर्ड बनने के बाद इस मामले में परिषद को इस मामले में तेजी से कार्यवाही का अनुरोध किया था ।

इस कॉलोनी में परिषद ने आम नीलामी से वाणिज्यक भूखंडों की तो नीलामी कर दी लेकिन आवासीय भूखंडों का आवंटन नही किया है ।

30 साल में इस आवासीय कॉलोनी की जमीन की दरें बहुत बढ़ गई है और इसके बेचने से परिषद को करोड़ो की आय होना तय है ।

यह भूमि कलक्टर रोहित आर ब्राण्डन के कार्यकाल व उपखंड अधिकारी भगवान सहाय सिंघल के वक्त तेजाराम जी गोयल ने खुशी खुशी बाजार दर पर नगर पालिका को बेची थी और इस पर राजीव आवासीय योजना बनाने के लिए तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री बूटा सिंह जी जो यहां से सांसद थे उन्होंने अरबन डेवलोपमेन्ट से उस वक्त डेढ़ करोड़ लोन के रूप में दिलाये थे लेकिन कानूनी पचड़े व राजनेताओ की इच्छा शक्ति की कमी के कारण अब तक यह कॉलोनी विकसित नही हुई और नगर परिषद ने जरूरत मन्दो को लाटरी से आवासीय भूखण्ड नही दिए ,अब जागरूक विधायक संयम लोढ़ा से जनता को उम्मीद है कि वे इस मामले में जनता की पैरवी कर भूखंडों का आवंटन करवाएंगे । यह कॉलोनी की जमीन फिर से निजी हाथों में चली जाती लेकिन तत्कालीन सभापति वीरेंद्र मोदी के अड जाने व हाई कोर्ट में मजबूत वकील खड़ा करने से जमीन नगर पालिका के हाथों में रह सकी । जयश्री के वक्त बोर्ड ने जमीन सरेंडर करने का पत्र भी डी एल बी से जारी करवा दिया था तब भी संयम लोढा ने कड़ा एतराज कर उसको रुकवाया था ।

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